कोविड-19 से मुकाबले में टी-सेल्स की अहम भूमिका, बुजुर्गो में कोरोना संक्रमण का रहता है अधिक खतरा
शोधकर्ताओं ने बीमारी से पूरी तरह उबरने वाले लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी और टी सेल्स की उल्लेखनीय मौजूदगी पाई।
वाशिंगटन, प्रेट्र। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना वायरस (COVID-19) से मुकाबले में इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) संबंधी टी-सेल्स की अहम भूमिका होती है। इसलिए संभावित टीकों में एंटीबॉडीज और हेल्पर व किलर टी-सेल्स समेत व्यापक इम्यून रिस्पांस को शामिल किया जाना चाहिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि कमजोर प्रतिरक्षा के चलते संक्रमण गंभीर हो सकता है।
सेल पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है कि बहुस्तरीय और वायरस विशेषज्ञ इम्यून रिस्पांस संक्रमण के अहम चरण में कोरोना वायरस को नियंत्रित करने और इसकी गंभीरता को कम करने में महत्वपूर्ण होता है।
यह निष्कर्ष 50 कोरोना रोगियों के रक्त नमूनों के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। इसमें इम्यून सिस्टम की विविध शाखाओं मसलन एंटीबॉडी, हेल्पर और किलर टी-सेल्स का विश्लेषण किया गया। इम्यून सिस्टम की इन शाखाओं को कोरोना वायरस से मुकाबले में अहम माना जा रहा है।
शोधकर्ताओं ने बीमारी से पूरी तरह उबरने वाले लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी और टी सेल्स की उल्लेखनीय मौजूदगी पाई। अमेरिका के ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्यूनोलॉजी के वरिष्ठ शोधकर्ता शेन क्रोटी ने कहा, 'हमारे अवलोकनों से इस बात की भी व्याख्या की जा सकती है कि क्यों बुजुर्ग कोरोना रोगी ज्यादा संवेदनशील होते हैं?
दरअसल उम्र बढ़ने के साथ टी सेल्स कमजोर पड़ने लगती हैं और इम्यून रिस्पांस भी अपेक्षाकृत धीमा पड़ जाता है। यह एक कारक हो सकता है, जिससे बुजुर्गो में कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा रहता है।'
कम नहीं हो रहे कोरोना के मामले
विश्वभर में कोरोना पीड़ितों की संख्या तीन करोड़ के स्तर को पार कर गई। कोरोना रोगियों का वैश्विक आंकड़ा महज 18 दिनों में ढाई करोड़ से तीन करोड़ हो गया है। विश्व में अब तक कोरोना से नौ लाख 45 हजार पीड़ितों की जान गई है। दुनिया में सर्वाधिक संक्रमित अमेरिका में हैं। इस देश में कुल 68 लाख से ज्यादा संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से दो लाख से अधिक की मौत हुई है। है।