कमला को याद आई बचपन की बातें, वो सुबह की सैर और इडली का स्वाद
कमला हैरिस ने कहा मुझे अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है। मेरी मां मेरे नाना से मुझे जो सीख मिली वो भी एक बड़ी वजह है कि आज मैं यहां हुं।
वाशिंगटन, प्रेट्र। डेमोक्रेटिक पार्टी की उपराष्ट्रपति पद की प्रत्याशी कमला हैरिस बचपन में अपनी मां के साथ भारत आया करती थीं। उन्हें चेन्नई में नाना के साथ सुबह की सैर पर जाना भी याद है और इडली का स्वाद भी। उन्होंने कहा, मुझे अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है। मेरी मां, मेरे नाना से मुझे जो सीख मिली, वो भी एक बड़ी वजह है कि आज मैं यहां हुं।'
प्रत्याशी घोषित होने के बाद हैरिस पहली बार भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित कर रही थीं। यह वर्चुअल आयोजन 'इंडियंस फॉर बिडेन नेशनल काउंसिल' ने किया था। 55 साल की हैरिस पहली अश्वेत हैं, जिन्हें किसी बड़ी पार्टी ने इस पद के लिए प्रत्याशी बनाया है। हैरिस की मां भारत के तमिलनाडु से अमेरिका आई थीं, जबकि पिता डोनाल्ड जे हैरिस जमैका से। उन्होंने कहा, 'मैं उपराष्ट्रपति पद के लिए दक्षिण एशियाई मूल की पहली उम्मीदवार के तौर पर आपके सामने खड़ी हूं। मैं भारत के लोगों, भारतीय-अमेरिकियों को भारत के स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देती हूं।'
हैरिस ने कहा, 'मेरी मां जब 19 साल की उम्र में कैलिफोर्निया में विमान से उतरी थी, तो उनके पास ज्यादा कुछ नहीं था। उनके माता-पिता यानि मेरे नाना-नानी राजन एवं पीवी गोपालन से मिली सीख उनके साथ थी। उन्होंने मेरी मां को सिखाया था कि जब आप दुनिया में कहीं अन्याय देखते हैं, तो उसे दूर करने के लिए कुछ करना आपका फर्ज होता है। इसी सीख ने मेरी मां को ऑकलैंड की गलियों में प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया, जब नागरिक अधिकार आंदोलन अपने चरम पर था। यह ऐसा आंदोलन था, जिसमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेता भी महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों से प्रेरित थे। इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान मेरी मां और मेरे पिता की मुलाकात हुई। आगे की कहानी सबको पता है।'
हैरिस ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा, 'मेरी मां मुझे और मेरी बहन माया को वहां ले जाया करती थी, जिसे तब मद्रास (अब चेन्नई) कहा जाता था। वह चाहती थीं कि हम यह समझ सकें कि वह कहां से आई हैं और हमारे पूर्वज कहां हैं। वह हमारे अंदर अच्छी इडली के लिए प्यार पैदा करना चाहती थीं।'
उन्होंने कहा, 'मैं मद्रास (चेन्नई) में अपने नाना के साथ टहलने जाया करती थी। तब वह सेवानिवृत्त हो चुके थे। वह मुझे उन महानायकों की कहानियां सुनाते थे, जिनकी बदौलत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। वे कहते थे कि इसे आगे ले जाना अब हम पर निर्भर है। उनकी सीख एक बड़ा कारण है, जिसकी वजह से मैं आज यहां हूं। अपने इतिहास और संस्कृति के कारण हमारा समुदाय आपस में काफी जुड़ाव रखता है। मुझे उम्मीद है कि आप सब मेरी जीत सुनिश्चित करेंगे।'