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सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता पर बाइडन प्रशासन का रुख साफ नहीं, कई शीर्ष नेताओं ने खुलकर किया था समर्थन

अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज डब्ल्यू बुश बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले पर भारत का खुलकर समर्थन किया था। इन सभी ने कहा था कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का पूरा समर्थन करता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 04:19 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 04:19 PM (IST)
सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता पर बाइडन प्रशासन का रुख साफ नहीं, कई शीर्ष नेताओं ने खुलकर किया था समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की फाइल फोटो

वाशिंगटन, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने को लेकर अमेरिका के रुख में बदलाव के संकेत हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के लिए नामित अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के संबंध में नए प्रशासन के स्पष्ट समर्थन का संकेत नहीं दिया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह चर्चा का विषय है। अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले पर भारत का खुलकर समर्थन किया था। इन सभी ने कहा था कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम का पूरा समर्थन करता है।

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लिंडा ने बुधवार को संसद के ऊपरी सदन सीनेट की विदेश मामलों की समिति के समक्ष कहा कि यह चर्चा का विषय है। समिति के सदस्य जेफ मर्कले ने लिंडा से पूछा, 'क्या आप सोचती हैं कि भारत, जर्मनी और जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।' इस पर लिंडा ने कहा, 'सुरक्षा परिषद में इनकी सदस्यता पर कुछ चर्चा हो चुकी है और इसके लिए कुछ ठोस दलीलें भी हैं। लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि ऐसे दूसरे देश भी हैं, जो इन देशों के अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि बनने से असहमत हैं। यह भी चर्चा का विषय है।' राष्ट्रपति जो बाइडन ने 69 वर्षीय लिंडा को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के तौर पर नामित किया है। यह पद कैबिनेट स्तर का है। उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाने के लिए इस समिति ने यह सुनवाई की।

बाइडन ने समर्थन का किया था वादा

बाइडन ने पिछले साल अपने चुनाव अभियान संबंधी एक नीति दस्तावेज में सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन के अपने वादे को दोहराया था।

ये देश करते हैं विरोध

इटली, पाकिस्तान, मेक्सिको और मिस्र जैसे देश सुरक्षा परिषद में भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील की स्थायी सदस्यता की मुहिम का विरोध करते हैं।


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