इसरो के चंद्रयान-1 से मिली बड़ी जानकारी, बिना हवा-पानी के चंद्रमा में लग रही है जंग
इसरो के चंद्रयान-1 के ऑर्बिटर से प्राप्त आंकड़ों के अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि चंद्रमा पर जंग लग रही है। अध्ययन में बताया गया है कि कारण पृथ्वी हो सकती है।
कैलिफोर्निया, एएनआइ। मंगल ग्रह पर हवा, पानी, लोहे और ऑक्सीजन की मौजूदगी में जंग लगना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यदि बिना हवा-पानी वाले चंद्रमा की सतह पर जंग लग रही है तो यह बात चौंकाती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-1 के ऑर्बिटर से प्राप्त आंकड़ों के अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि चंद्रमा पर जंग लग रही है। इसके ध्रुव अन्य हिस्सों की तुलना में बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं। साइंस एडवांस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि चंद्रमा पर जंग लगने कारण पृथ्वी हो सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंस्टीट्यूट ऑफ जियो फिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी के शोधकर्ता शुआई ली ने अध्ययन में पाया है कि चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर लौह खनिज मिला है। लोहा ऑक्सीजन के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करता है और जंग को तैयार कर लेता है। पृथ्वी पर भी आमतौर पर ऐसा देखने का मिलता है। ली ने यह दावा चंद्रयान-1 के मून मिनरोलॉजी मैपर इंस्ट्रमेंट (एम3) के अध्ययन के बाद किया है। एम3 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दक्षिणी कैलिफोíनया के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) में तैयार किया था।
इस अध्ययन के मुख्य लेखक ली ने कहा, पानी चट्टानों के साथ मिलकर कई तरह के खनिज तैयार करता है। एम3 ने स्पेक्ट्रा यानी उस रोशनी का पता लगाया है जो चांद की सतह पर पहुंच रही है। इससे पता लगता है कि चंद्रमा के ध्रुव उसके बाकी हिस्सों की तुलना में बिल्कुल अलग थे।
आखिरकार यह जंग कैसे लग रही है
चंद्रमा पर ऑक्सीजन या पानी की मौजूदगी की संभावना नहीं है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार यह जंग कैसे लग रही है? शोधकर्ताओं इस का पता लगाने में जुटे हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों की मानें तो इसकी शुरुआत सौर हवा से होती है, जिसमें कई तरह के कण होते हैं जो सूर्य से उड़कर पृथ्वी और चंद्रमा पर हाइड्रोजन के साथ हमला करते हैं। हाइड्रोजन हेमाटाइट (लौह ऑक्साइड का खनिज रूप) बनाने वाला एक प्रमुख कारक है यानी वह तत्वों से इलेक्ट्रॉन को जोड़ता है जिस कारण ऐसा हो सकता है।
हेमाटाइट के लिए चांद में अनुकूल परिस्थितियां नहीं
शोधकर्ताओं का कहना है कि लोहे में जंग के लिए ऑक्सीडाइजर की आवश्यकता होती है, जो इससे इलेक्ट्रॉनों को निकालता है। पृथ्वी में तो हाइड्रोजन से बचाव के लिए एक चुम्बकीय क्षेत्र है लेकिन चंद्रमा के पास ऐसा क्षेत्र नहीं है। ली ने कहा कि यह समझना बहुत जटिल है। चंद्रमा के पास हेमाटाइट के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। जिसके बाद उन्होंने इसकी पड़ताल के लिए जेपीएल का रुख किया।
इसलिए लग रही जंग
शुआई ली ने बताया कि अध्ययन के दौरान पृथ्वी के नजदीक वाले चंद्रमा के हिस्सों पर ही पहले बर्फ मिली थी। अब हेमाटाइट का उसी स्थान पर मिलना ये बताता है कि वहां पर नमी और लोहे की मौजूदगी है। उल्का पिंडों के टकराने से चांद की सतह के नीचे की बर्फ पिघली और सतह पर आ गई। इसके बाद पानी के छोटे कण पैदा हुए होंगे। इससे यह पता चलाता है कि पृथ्वी के वायुमंडल की ऑक्सीजन, सौर हवाओं के साथ चंद्रमा तक जाती है। इससे चांद की सतह पर ऑक्सीजन के कण पहुंचने से ऑक्सीडेशन हो सकता है और जंग लगना शुरू होता है।