Move to Jagran APP

क्या अस्पताल में भर्ती बच्चों की बदल रही मानसिक स्थिति, कोरोना से जुड़ी इस रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

पिट्सबर्ग स्कूल आफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ-वैज्ञानिक ने SARS-CoV-2 के लिए किया है। जिसमें पता चला है कि अस्पताल में भर्ती बच्चों में से 44 फीसदी में न्यूरोलाजिकल लक्षण विकसित हुए हैं। शोध का नेतृत्व विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञों ने किया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 04:01 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 04:01 PM (IST)
क्या अस्पताल में भर्ती बच्चों की बदल रही मानसिक स्थिति, कोरोना से जुड़ी इस रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
बच्चों में न्यूरोलाजिकल लक्षण विकसित हुए (एएनआई, फाइल फोटो)

पिट्सबर्ग, एएनआइ: कोरोना वायरस के बदलते वैरिएंट ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी है। ऐसे में वैज्ञानिक लगातार बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक पर शोध कर रहे हैं। ऐसा ही एक शोध पिट्सबर्ग स्कूल आफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ-वैज्ञानिक ने SARS-CoV-2 के लिए किया है। इस शोध में पता चला है कि अस्पताल में भर्ती बच्चों में से 44 फीसदी में न्यूरोलाजिकल लक्षण विकसित हुए हैं। इस शोध का नेतृत्व यूपीएमसी और पिट्सबर्ग स्कूल आफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ-वैज्ञानिक ने किया था।

loksabha election banner

दरअसल, जिन बच्चों पर ये शोध किया गया है, वे सिरदर्द और परिवर्तित मानसिक स्थिति से गुजर रहे थे। जिन्हें तीव्र एन्सेफैलोपैथी के रूप में जाना जाता है। ये प्रारंभिक निष्कर्ष GCS-NeuroCOVID की बाल चिकित्सा शाखा से पहली अंतर्दृष्टि हैं, जो एक अंतरराष्ट्रीय, बहु-केंद्र संघ है, जिसका उद्देश्य यह समझना है कि COVID-19 मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को कैसे प्रभावित करता है। इस SARS-CoV-2 के शोध में पता चला है कि वायरस बाल रोगियों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है, यह तीव्र बीमारी का कारण बन सकता है। जहां संक्रमण के तुरंत बाद रोग सूचक बीमारी आती है।

इस शोध के लिए दुनिया भर के 30 बाल चिकित्सकों की महत्वपूर्ण देखभाल केंद्रों में भर्ती की गई थी। जिसमें 1 हजार 493 अस्पताल में भर्ती बच्चों में से 1 हजार 278 के करीब SARS-CoV-2 से पीड़ित थे। करीब 14 फीसदी बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम का निदान किया गया था, जो आमतौर पर वायरस को साफ करने के कई सप्ताह बाद दिखाई देता था।

पीडियाट्रिक न्यूरोलाजी पत्रिका के प्रमुख लेखक एरिका फिंक के अनुसार कोविड-19 से जुड़ी सबसे आम तंत्रिका संबंधी सिरदर्द, तीव्र एन्सेफैलोपैथी और दौरे थे। जबकि एमआईएस-सी वाले युवाओं में अक्सर सिरदर्द, तीव्र एन्सेफैलोपैथी और चक्कर आना होता था। दोनों स्थितियों के दुर्लभ लक्षणों में गंध की हानि, दृष्टि हानि, स्ट्रोक और मनोविकृति शामिल हैं।

शोध के मुताबिक, बच्चों में मृत्यु दर तीव्र SARS-CoV-2 और MIS-C दोनों के लिए कम है। फिंक ने कहा कि, इस अध्ययन से पता चलता है कि न्यूरोलाजिकल अभिव्यक्तियों की आवृत्ति अधिक है और यह वास्तव में हमने जो पाया उससे अधिक हो सकता है। क्योंकि इन लक्षणों को हमेशा मेडिकल रिकार्ड या आकलन योग्य में दर्ज।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.