बच्चों के दिल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम, जानिए क्या हैं इसके लक्षण
शोध से जुड़े एक वैज्ञानिक ने कहा कि यह बचपन में होने वाली एक नई तरह की बीमारी है और ऐसा माना जाता है कि यह कोरोना से जुड़ी है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। बच्चों में इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम यानी सूजन के साथ लाल चकत्ते निकलते हैं तो माना जाता है कि वह कोरोना से पीड़ित हैं। हालांकि एक नए अध्ययन से पता चला है कि इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम बच्चों के दिलों को इस हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं कि उनमें से कुछ आजीवन निगरानी में रखने की जरूरत पड़ सकती है। यह अध्ययन जर्नल ईक्लीनिकलमेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
शोध में 662 से ज्यादा बच्चों में मिले मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (एमआइएस-सी) का आकलन किया गया और यह बताया गया है कि एमआइएस-सी बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमण के तीन से चार सप्ताह बाद भी सेहतमंद बच्चों पर बिना किसी चेतावनी के हमला कर सकता है।
अमेरिका के सेंट एंटोनियो स्थित द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर में प्रोफेसर और शोध के सह लेखक अलवारो मोरिरो ने बताया कि जरूरी नहीं है कि बच्चों में कोरोना का पता तभी चले जब उनमें श्वसन संबंधी कोई लक्षण हों। हो सकता है कि शुरुआत में बच्चों में कोई लक्षण नहीं हों और कुछ दिनों बाद ही उनके शरीर में अत्यधिक सूजन का पता चले।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक जनवरी से 25 जुलाई के बीच दुनियाभर में रिपोर्ट किए गए 662 से अधिक एमआइएस-सी मामलों की समीक्षा की और पाया कि 71 प्रतिशत बच्चों को आइसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। वैज्ञानिकों के अनुसार सभी 662 बच्चों को बुखार था, 73.7 प्रतिशत बच्चे पेट दर्द और दस्त से पीड़ित थे जबकि 68.3 को उल्टी की समस्या थी। उन्होंने कहा कि 90 फीसद का इकोकार्डियोग्राम किया गया है, जिसमें 54 फीसद की रिपोर्ट सामान्य नहीं थी। मोरिरो ने कहा कि यह बचपन में होने वाली एक नई तरह की बीमारी है और ऐसा माना जाता है कि यह कोरोना से जुड़ी है। यह घातक हो सकता है, क्योंकि यह शरीर की कई प्रणालियों को प्रभावित करता है।