भारतीय वैज्ञानिक का कमाल, अंधेरे में से भी निकाली रोशनी, जानिए- इस स्पेशल डिवाइस के बारे में
कई शोधकर्ताओं का कहना है कि इस डिवाइस की मदद से चार वाट तक की बिजली का उत्पादन हो सकता है।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। अमेरिका में रहने वाले भारतवंशी अश्वत रमन ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जो अंधेरे में ऊर्जा एकत्रित कर एलईडी बल्ब जलाने लायक बिजली का उत्पादन कर सकती है। 2013 में उन्हें यह डिवाइस बनाने का खयाल आया था। लॉस एंजिलिस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में इलेक्टि्रकल इंजीनियर रमन उस साल पश्चिम अफ्रीकी देश सिएरा लियोन के एक गांव से गुजर रहे थे। उस वक्त वहां घना अंधेरा था। एक भी बल्ब नहीं जल रहा था।
तब उन्होंने सोचा कि जिस तरह सूर्य के प्रकाश और गर्मी से ऊर्जा का निर्माण होता है, क्या उसी तरह अंधेरे से भी ऊर्जा पैदा की जा सकती है। आखिरकार उन्होंने ऐसी डिवाइस का नमूना तैयार करने में सफलता हासिल कर ली है। 'जूल' जर्नल में उन्होंने इसका विवरण दिया है।
रेडिएटिव कूलिंग के सिद्धांत पर करता है काम
रमन द्वारा बनाया गया उपकरण रेडिएटिव कूलिंग के सिद्धांत पर काम करता है। रेडिएटिव कूलिंग वह प्रक्रिया है, जिसके कारण सूर्यास्त होने के बाद पार्क व इमारतें अन्य जगहों की अपेक्षा ठंडे हो जाते हैं।
नई डिवाइस भी सूर्यास्त के बाद ताप उत्सर्जित करती है। डिवाइस के ऊपरी हिस्से व निचले हिस्से से निकलने वाले ताप में बहुत अधिक अंतर रहता है। बाद में ताप के इसी अंतर से बिजली बनाई जाती है। रमन का कहना है कि यदि डिवाइस को वोल्टेज कनवर्टर से जोड़ दिया जाए तो उससे एक सफेद एलईडी बल्ब जल सकता है।
कैसी है डिवाइस
यह डिवाइस शेफिंग डिश (खाना गर्म करने वाले बड़े बर्तन) में रखे हॉकी पक की तरह दिखती है। मुख्यत: आइस हॉकी में इस्तेमाल होने वाला पक काले रंग का पॉलीस्ट्रीन डिस्क होता है जिसके अंदर हवा नहीं जा सकती। इस डिवाइस के बीच में थर्मोइलेक्टि्रक जेनरेटर लगा है, जो उसके विपरीत सिरों से उत्सर्जित ताप के अंतर को बिजली में बदल सकने में सक्षम है।
वैज्ञानिकों ने की सराहना
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पैसिव कूलिंग और सौर तकनीकों पर शोध कर रहे वैज्ञानिक जेफ्री ग्रॉसमैन ने इस उपकरण को उत्साहवर्धक बताया है। उन्होंने कहा कि यह अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत
अभी हैं चुनौतियां
कई शोधकर्ताओं का कहना है कि इस डिवाइस की मदद से चार वाट तक की बिजली का उत्पादन हो सकता है, जो बहुत कम है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती इस उपकरण को किफायती रखते हुए इसकी