यूएस में भारतीय राजदूत श्रृंगला ने कहा- 21वीं सदी में महाशक्ति बन सकता है भारत
अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि 21वीं सदी के मध्य में भारत एक ऐसा देश बन जाएगा जिसे कोई शक्ति नजरअंदाज नहीं कर सकती।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय अर्थव्यवस्था का रथ आगे बढ़ रहा है और 21वीं सदी में देश के महाशक्ति बनने की सभी परिस्थितियां वर्तमान में मौजूद हैं। यह बात अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कही। वह हार्वर्ड केनेडी स्कूल में विद्यार्थियों और अध्यापकों को संबोधित कर रहे थे।
भारत को एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 60 साल लगे
उन्होंने 'भारत की आर्थिक वृद्धि एवं विकास' विषय को लेकर अपने संबोधन में कहा, 'भारत को एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में आजादी के बाद 60 साल लगे। इसके बाद दो लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 12 साल लगे। अब महज पांच साल में 2014-19 के दौरान यह दो लाख करोड़ डॉलर से तीन लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गया है।'
देश को 2025 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को 2025 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है और हम सभी इसे पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।'
भारत की वृद्धि बुनियाद पर आधारित है
श्रृंगला ने कहा, 'भारत की वृद्धि उसकी बुनियाद पर आधारित है। हमने वृद्धि की गति को तेज करने के साथ ही वृहद स्थिरता, टिकाऊ तथा समावेशी आर्थिक वृद्धि हासिल की है। हमने सामाजिक सामंजस्य, लोकतंत्र और कानून का राज बनाए रखते हुए उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल की।'
भारत लाखों लोगों को गरीबी रेखा से उबारने में कामयाब
उन्होंने कहा कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष आय में असमानता की दिक्कतें रही हैं, लेकिन 1990 के बाद उदारीकरण को अपनाने से लेकर अब तक भारत लाखों लोगों को गरीबी रेखा से उबारने में कामयाब हुआ है।
भारत में 2030 तक हर दो में से एक परिवार के मध्यमवर्गीय होने का अनुमान
उन्होंने कहा कि भारत में 2030 तक हर दो में से एक परिवार के मध्यमवर्गीय हो जाने का अनुमान है। तब तक देश विश्वबैंक के वर्गीकरण के हिसाब से उच्च-मध्यम आय वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह हुआ कि 21वीं सदी के मध्य में भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। भारत एक ऐसा देश बन जाएगा जिसे कोई शक्ति नजरअंदाज नहीं कर सकती और जिसकी अर्थव्यवस्था दुनिया भर में उत्पाद बाजारों से आसानी से जुड़ जाएगी।'