India US Relation: व्हाइट हाउस बोला- भारत से संबंधों को अहमियत देता है अमेरिका, साथ ही कह दी यह बड़ी बात
अमेरिका ने एकबार फिर दोहराया है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत उसका बेहद रणनीतिक साझीदार है। व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बहुत मूल्यवान मानता है। पढ़ें अमेरिका का पूरा बयान...
वाशिंगटन, पीटीआइ। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत अमेरिका का अहम रणनीतिक साझीदार है। अमेरिका भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बहुत मूल्यवान मानता है। व्हाइट हाउस का कहना है कि रूस के संबंध में हरेक देश को अपना फैसला लेना होगा। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल कोआर्डिनेटर जान किर्बी का कहना है कि रूस से हो रहे भारतीय ऊर्जा आयात पर दबाव डालने की जरूरत है।
भारत को आर्थिक नीतियों पर बात करने का अधिकार
जान किर्बी ने कहा, 'हम भारतीय नेताओं को उनकी आर्थिक नीतियों पर बात करने देंगे। मैं आपको बस इतना बता सकता हूं कि हम भारत के साथ इस द्विपक्षीय संबंध को महत्व देते हैं और हम चाहते हैं। जाहिर है हर देश को अपने फैसले खुद लेने होंगे।' अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों ने पड़ोसी देश यूक्रेन में 'विशेष सैन्य अभियान' शुरू करने के लिए रूस पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं।
अमेरिका की तीन बड़ी बातें
- किर्बी ने रेखांकित किया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है।
- यह साझेदारी रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक और साथ ही दोनों में खुद का प्रतिनिधित्व करती है।
- भारत को को उसके आर्थिक नीतियों पर अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है।
रूस पर प्रतिबंधों के बीच बड़ा बयान
यूक्रेन में जंग के बाद से अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस कारण रूस ने तेल में भारी छूट की पेशकश की है। इससे सबसे अधिक फायदा भारत को पहुंच रहा है। रूस चाहता है कि भारत उनसे तेल खरीदे, वह भारत को दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बनाना चाहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने तेल के व्यापार में सऊदी अरब को भी पछाड़ दिया है।
रूस से तेल आयात पर है गतिरोध
भारतीय रिफाइनर ने मई में लगभग 2.5 करोड़ बैरल रूसी तेल की खरीद की जो तेल आयात के 16 प्रतिशत अधिक है। वहीं दूसरी तरफ, भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कई पश्चिमी देश भारत को रूस के साथ तेल का व्यापार नहीं करने की बात कर रहे हैं। यूक्रेन में रूसी हमले को लेकर अभी तक भारत ने मास्को के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। हालांकि, भारत यूक्रेन संकट के तत्काल समाधान के लिए कूटनीति और बातचीत से आगे बढ़ने की बात कर रहा है।
दबाव को कूटनीतिक तरीकों से हल करना चाहता है भारत
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात करने वाला देश है। यहां तेल की खपत अन्य देशों की तुलना में अधिक है। भारत भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात रूस से करता आ रहा है। इस कारण वह अन्य देशों के दबाव को कूटनीतिक तरीकों से हल करना चाहता है। भारत का कहना है कि वह यूरोप से काफी कम मात्रा में तेल का आयात करता है और यहां तेल की खपत ज्यादा है। इस कारण तेल की खपत की पूर्ति के लिए वह रूस से तेल का आयात करता है।