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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत बोला- हम धार्मिक भय के अधिक विषैले रूप को पहचानने में विफल रहे

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UNSC)के एक खुले सत्र को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा आलोचना करने में अलग-अलग मानदंड अपनाने के हैं जोखिम। कई देशों में हिंदू विरोधी बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भय पर नहीं दिया जाता ध्यान।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 07:44 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 07:44 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत बोला- हम धार्मिक भय के अधिक विषैले रूप को पहचानने में विफल रहे
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोला भारत।(फोटो: प्रतीकात्मक)

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि हम धार्मिक भय के अधिक विषैले रूप को पहचानने में विफल रहे हैं। भारत ने मंगलवार को कहा कि विश्व बिरादरी हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी सहित धार्मिक भय के अधिक विषैले रूपों का उद्भव पहचानने में विफल रही है। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि इसके अपने पड़ोस में गुरुद्वारा परिसर का उल्लंघन किया जाता है और मंदिरों में मूर्तियां तोड़ने वालों का महिमा मंडन किया जाता है।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक खुले सत्र को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि ऐसी घटनाओं की आलोचना करने में अलग-अलग मानदंड अपनाने के अपने जोखिम हैं। उन्होंने कहा, जहां तक धार्मिक पहचान की बात है, हम देख रहे हैं कि सदस्य देश किस तरह धार्मिक भय के नए रूप का सामना कर रहे हैं। हमने यहूदी विरोधी भावना, इस्लाम और ईसाई को लेकर भय की आलोचना की है। लेकिन हम हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भय के विषैले रूप को पहचानने में विफल रहे हैं।

मुरलीधरन ने कहा, हमने अपने पड़ोस में और अन्य जगहों पर देखा कि किस तरह मंदिरों को तोड़ा गया, मंदिरों में मूर्तियां तोड़ने का महिमामंडन किया गया और गुरुद्वारा परिसरों का उल्लंघन किया गया। गुरुद्वारे में सिख तीर्थयात्रियों का नरसंहार किया गया और बामियान में बुद्ध और अन्य प्रतिष्ठित स्थानों पर तोड़फोड़ की गई।

अफ्रीका में आतंकवाद का बढ़ना चिंता का विषय

विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने मंगलवार को कहा कि अफ्रीका में आतंकवाद में बढ़ोतरी गंभीर चिंता का विषय है। सुरक्षा परिषद में एक संवाद सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इन आतंकी समूहों को सदस्य देशों की ओर से प्रोत्साहन मिलता है। ये समुदायों में विभाजन उत्पन्न करना चाहते हैं और आतंकी गतिविधियों को वैध करना चाहते हैं।


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