UNHRC: कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को सुनाई खरी-खरी
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर की गई गैर-जरूरी टिप्पणियों को लेकर इशारों-इशारों में खरी-खरी सुनाई। भारत ने कहा कि निष्पक्षता और तटस्थता किसी भी मानवाधिकार के मूल्यांकन की पहचान होनी चाहिए।
जिनेवा, एजेंसियां। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर की गई गैर-जरूरी टिप्पणियों को लेकर इशारों-इशारों में खरी-खरी सुनाई। मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडेय ने कहा कि भारत सरकार ने कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनों को लेकर अत्याधिक सम्मान दिखाया है। उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार निरंतर बातचीत में लगी हुई है।
भारत ने कहा- निष्पक्षता और तटस्थता किसी भी मानवाधिकार के मूल्यांकन की पहचान होनी चाहिए
इंद्रमणि पांडेय ने यूएनएचआरसी की प्रमुख मिशेल बाचेलेट के कृषि कानून विरोधी आंदोलन को लेकर दिए गए बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि निष्पक्षता और तटस्थता किसी भी मानवाधिकार के मूल्यांकन की पहचान होनी चाहिए। हमें खेद है कि बाचेलेट के मौखिक बयान में इन दोनों की कमी है।
इंद्रमणि ने कहा- तीनों कृषि कानूनों को लागू करने का उद्देश्य किसानों को सक्षम बनाना है
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। तीनों कृषि कानूनों को लागू करने का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए वास्तविक मूल्य निर्धारण में सक्षम बनाना और उनकी आय को बढ़ाना है।
नए कानून छोटे किसानों को करेंगे लाभांवित
उन्होंने कहा कि ये कानून विशेष रूप से छोटे किसानों को लाभांवित करेंगे और उन किसानों को अधिक विकल्प प्रदान करेंगे जो इन कानून को चुनते हैं। दरअसल, बाचेलेट ने उम्मीद जताई थी कि भारत सरकार और कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच जारी वार्ता से संकट का कोई न्यायसंगत समाधान निकलेगा जो सभी के अधिकारों का सम्मान करेगा। बेचेलेट ने प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई और इंटरनेट मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने के प्रयासों की भी आलोचना की थी।
यूएनएचआरसी की उपलब्धियों और विफलताओं के आकलन का समय
इंद्रमणि ने आगे कहा कि अब समय आ गया है जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की उपलब्धियों और विफलताओं का आकलन किया जाए। साथ ही संयुक्त राष्ट्र की इस शाखा को मजबूत बनाने और सुधार करने के रास्ते तलाशे जाएं ताकि इसे अपने उद्देश्य हासिल करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों को बढ़ावा और संरक्षण देने के प्रति भारत का रुख एक समावेशी व बहुलतावादी समाज और पंथनिरपेक्ष राजनीति के साथ जीवंत लोकतंत्र के तौर पर खुद के अनुभव पर आधारित है।