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UN में पाकिस्‍तान ने फिर मुंह की खाई, भारत ने दिया करारा जवाब; पड़ोसी देश ने की थी यह टिप्पणी

संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए भारत ने कहा कि इस्लामाबाद सभी पहलुओं में सबसे संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड रखता है। इसके पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने भारत को लेकर टिप्पणी की थी। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने भारत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कश्मीर भाजपा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय मुसलमानों का जिक्र किया था।

By Agency Edited By: Prateek Jain Published: Fri, 03 May 2024 12:41 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2024 12:41 PM (IST)
यूएन जनरल असेम्‍बली में भारत की स्‍थायी प्रतिनिध रुच‍िरा कंबोज संबोध‍ित करते हुए। फोटो- X/@IndiaUNNewYork

एएनआई, न्‍यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए भारत ने कहा कि इस्लामाबाद सभी पहलुओं में सबसे संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड रखता है। इसके पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने भारत को लेकर टिप्पणी की थी।

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संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने भारत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कश्मीर, भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय मुसलमानों का जिक्र किया था, जिसके बाद भारत की यह टिप्‍प्‍णी प्रतिक्र‍िया स्‍वरूप आई।

शांति की संस्कृति पर हुई चर्चा

यूएन जनरल असेम्‍बली की मीटि‍ंग में एजेंडा आइटम 'शांति की संस्कृति' पर अपने संबोधन में रुचिरा कंबोज ने कहा कि शांति की संस्कृति भारत के समृद्ध इतिहास, विविध परंपराओं और गहन दार्शनिक सिद्धांतों में गहराई से समाहित है। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का आधार बताया।

रुचि‍रा कंबोज ने कहा,

इस सभा में जैसा कि हम इस चुनौतीपूर्ण समय के बीच शांति की संस्कृति विकसित करने का प्रयास करते हैं, हमारा ध्यान रचनात्मक बातचीत पर स्थिर रहता है।

इस प्रकार हमने एक निश्चित प्रतिनिधिमंडल की टिप्पणियों को अलग रखने का फैसला किया है, जिसमें न केवल शिष्टाचार की कमी है, बल्कि उनकी विनाशकारी और हानिकारक प्रकृति के कारण हमारे सामूहिक प्रयासों में भी बाधा आती है।

बिना नाम लिए पाकिस्‍तान को घेरा; कहा,

हम उस प्रतिनिधिमंडल को सम्मान और कूटनीति के आवश्यक सिद्धांतों के साथ जुड़ने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करेंगे, जिन्हें हमेशा हमारी चर्चाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए या यह उस देश से पूछने के लिए बहुत ज्‍यादा है, जो अपने आप में सभी पहलुओं पर सबसे संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड रखता है।

कंबोज ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत चर्चों, मठों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, मंदिरों और सभास्थलों पर बढ़ते हमलों से चिंतित है और कहा कि इन कृत्यों के लिए वैश्विक समुदाय से तेज और एकजुट प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर रखा पक्ष

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हमारी चर्चाएं राजनीतिक जरूरतों का विरोध करते हुए इन मुद्दों पर स्पष्टता से विचार करें। हमें इन चुनौतियों से सीधे निपटना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका समाधान हो। हमारी नीति, संवाद और अंतरराष्ट्रीय संलग्नताओं का केंद्र है। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत ने कहा कि आतंकवाद शांति की संस्कृति के सीधे विरोध में है और कलह पैदा करता है तथा शत्रुता को जन्म देता है। उन्होंने सदस्य देशों के लिए शांति की वास्तविक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना आवश्यक बताया।

उन्होंने कहा,

मैं यह भी कहूंगी कि आतंकवाद शांति की संस्कृति और सभी धर्मों की मूल शिक्षाओं के सीधे विरोध में है, जो करुणा, समझ और सह-अस्तित्व की वकालत करते हैं।

यह कलह, शत्रुता पैदा करता है और सम्मान और सद्भाव के सार्वभौमिक मूल्यों को कमजोर करता है, जो दुनिया भर में सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को रेखांकित करते हैं।

सदस्य देशों के लिए शांति की वास्तविक संस्कृति को बढ़ावा देने और दुनिया को एक एकजुट परिवार के रूप में देखने के लिए सक्रिय रूप से मिलकर काम करना आवश्यक है, जैसा कि मेरा देश दृढ़ता से मानता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के वैश्विक परिदृश्य में शांति का महत्व सर्वोपरि है। उन्होंने आगे कहा,

यह कलह पर बातचीत का समर्थन करता है, राष्ट्रों से टकराव या युद्ध से ऊपर कूटनीति और संचार को बढ़ावा देने का आग्रह करता है। यह विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि हम दुनिया भर में चल रहे संघर्षों से निपट रहे हैं जो स्थायी शांति स्थापित करने के लिए खुले संचार संवाद और आपसी सम्मान की मांग करते हैं।

इस बात पर जोर देते हुए कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ सद्भाव और करुणा के मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, रुचिरा कंबोज ने कहा,

जहां तक मेरे देश भारत का सवाल है, शांति की संस्कृति इसके समृद्ध इतिहास विविध परंपराओं और गहन दार्शनिक सिद्धांतों में गहराई से समाई हुई है।

वेद और उपनिषद जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथ सद्भाव, करुणा और अहिंसा के मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, जिन सिद्धांतों ने मेरे देश के लोकाचार को आकार दिया है।

कंबोज ने कहा कि अपने सभ्यतागत मूल्यों को ध्यान में रखते हुए भारत मानवता, लोकतंत्र और अहिंसा के आदर्शों को बनाए रखने के लिए समर्पित है।  संबोधन के अंत में रुच‍िरा कंबोज ने पवित्र भगवद गीता के एक गहन उद्धरण के साथ अपनी बात समाप्त की, जो एक शांति संस्कृति के सार को समाहित करता है।

मैं उद्धृत करता हूं, 'जब कोई व्यक्ति दूसरों के सुख और दुखों पर इस तरह प्रतिक्रिया करता है जैसे कि वे उसके अपने हों, तो वह आध्यात्मिक मिलन की उच्चतम स्थिति प्राप्त कर लेता है।


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