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कुछ देशों द्वारा आतंकी संगठनों को दिए जा रहे मौन समर्थन पर भारत ने जताई चिंता

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने यहां आतंकवाद के लिए कोई धनराशि नहीं (नो मनी फॉर टेरर) सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में कुछ देशों द्वारा आतंकवादी संगठनों को दिए जा रहे मौन समर्थन पर भी चिंता जाहिर की।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 06:23 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 06:23 PM (IST)
कुछ देशों द्वारा आतंकी संगठनों को दिए जा रहे मौन समर्थन पर भारत ने जताई चिंता
कुछ देशों द्वारा आतंकी संगठनों को दिए जा रहे मौन समर्थन पर भारत ने जताई चिंता

मेलबर्न, प्रेट्र। भारत ने आतंकवाद का समर्थन और आतंकवाद के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराने वालों के खिलाफ संयुक्त वैश्विक प्रयास का आह्वान करते हुए कहा कि इस खतरे को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए। भारत समेत विश्‍व के कई देश इस समय आतंकवाद की समस्‍या से जूझ रहे हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप समेत कई देशों के प्रमुख ये साफ-साफ संकेत दे चुके हैं कि किन देशों में आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराई जा रही है।

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने यहां 'आतंकवाद के लिए कोई धनराशि नहीं' (नो मनी फॉर टेरर) सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में कुछ देशों द्वारा आतंकवादी संगठनों को दिए जा रहे मौन समर्थन पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद का समर्थन या उनके लिए धन उपलब्ध कराने वाले सभी लोगों के खिलाफ संयुक्त वैश्विक प्रयास किए जाने की जरूरत है। पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी संगठनों को प्रायोजित करने और उनका समर्थन करने का दोषी ठहराया जाता है। ये आतंकवादी संगठन भारत में सैकड़ों हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे हमलों में 2008 में मुंबई में हुआ 26/11 और 2001 में संसद पर हुआ हमला भी शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रेड्डी ने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद का पीडि़त है और आतंकवाद को लेकर उसकी जीरो टॉलरेंस की रणनीति है। इस सम्मेलन में 65 देश हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बावजूद अलकायदा से संबद्ध कई संगठन और सदस्य दुनिया के कई हिस्सों में अब भी मौजूद हैं और उन्होंने चेतावनी दी कि हाल में आइएस प्रमुख बगदादी के खात्मे के बावजूद यह मान लेने की कोई गुंजाइश नहीं है कि 'खलीफा' अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष नहीं करेगा।

रेड्डी ने सम्मेलन के प्रस्ताव में चार बिंदुओं को शामिल करने का अनुरोध किया। इसमें आतंकवाद शांति, सुरक्षा और विकास के लिये सबसे बड़ा खतरा है, संयुक्त राष्ट्र के तहत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंतिम रूप देने में राष्ट्रों को तेजी लानी चाहिए, एफएटीएफ मानकों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और संरा सूची/एफएटीएफ का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए, कट्टरवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए चर्चा शुरू की जाए शामिल हैं। रेड्डी पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक वाईसी मोदी भी इसमें शामिल हैं।

2020 में 'आतंकवाद के लिए धन नहीं' सम्मेलन आयोजित करेगा भारत

भारत 2020 में 'आतंकवाद के लिए धन नहीं' सम्मेलन के अगले संस्करण का आयोजन करेगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। 'आतंकवाद के लिए धन नहीं' सम्मेलन 100 से अधिक देशों की वित्तीय खुफिया इकाइयां (एफआइयू) आयोजित करती हैं। इन देशों को संयुक्त रूप से एग्मोंट समूह कहा जाता है।


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