संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने दिया जोर, सामूहिक प्रयास से होगा सतत विकास
Sneha Dubey IN UNGA संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में सतत विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा हमारा मानना है कि भारत का मानव-केंद्रित दृष्टिकोण वैश्विक भलाई के लिए लाभकारी होगा।
न्यूयार्क, एएनआइ। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दोहराया कि सतत विकास सामूहिक प्रयासों से ही हासिल होगा और भारत इस दिशा में काम करना जारी रखेगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में सतत विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा, 'हमारा मानना है कि भारत का मानव-केंद्रित दृष्टिकोण वैश्विक भलाई के लिए लाभकारी होगा।' वैश्विक जलवायु कार्रवाई के मुद्दे पर प्रथम सचिव ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि शब्दों के साथ ठोस कार्रवाई हो। जी-20 में भारत अकेला देश है, जो पेरिस के लक्ष्यों को पूरा करने की ओर अग्रसर है।
प्रथम सचिव ने कहा-मानव केंद्रित रुख से होगी वैश्विक भलाई
एक वैश्विक नेट-जीरो अलग-अलग जिम्मेदारी और समानता के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। विकासशील देशों के विकास के लिए 2050 में कार्बन स्पेस खाली करने के लिए, विकसित देशों को नेट-माइनस करना चाहिए। भारतीय राजनयिक ने कहा कि विकसित देशों द्वारा जलवायु कार्रवाई के लिए 100 बिलियन अमेरिकी डालर प्रदान करने की प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए अभी भी एक बड़ा अंतर मौजूद है। उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन जैसी हमारी पहल वैश्विक जलवायु साझेदारी में भारत के योगदान के उदाहरण हैं।'
भारत में वन क्षेत्र बढ़े
प्रथम सचिव ने कहा कि भारत अब पिछले एक दशक में वन क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा, 'इसी अवधि में लगभग तीस लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को जोड़ा गया है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले पांच से सात वर्षों में भारत में शेरों, बाघों, तेंदुओं और गंगा नदी में डाल्फिन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भू-क्षरण के खतरे पर प्रकाश डालते हुए दुबे ने कहा कि भारत ने मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को लागू करने के लिए काम किया है, जिसका उद्देश्य न केवल पर्यावरणीय क्षरण को रोकना है बल्कि इसे दोबारा हासिल करना है।