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महामारी के कारण भारत के सामने कई चुनौतियां, लेनी होगी पड़ोसियों से मदद: थिंक टैंक

दक्षिण एशिया में भारत को अपना स्थान बहाल करने में मदद करना अमेरिका के हित में है। हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक ने कहा कि महामारी की शुरुआत में भारत ने अपने पड़ोसी देशों मेडिकल सहायता दी थी । यह अमेरिका के हित में होगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 08:47 AM (IST)
महामारी के कारण भारत के सामने कई चुनौतियां, लेनी होगी पड़ोसियों से मदद: थिंक टैंक
महामारी के कारण भारत के सामने कई चुनौतियां, लेनी होगी पड़ोसियों से मदद: थिंक टैंक

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत (India) को कोविड-19 महामारी के कारण अनेकों चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं। महामारी की दूसरी लहर ने इसके क्षेत्रीय और वैश्विक मकसद को खतरे में डाल दिया है। अमेरिका के थिंक टैंक ने इसके बाबत चेताया है और कहा है कि (US think-tank) अमेरिका जैसे सहयोगी देशों की मदद से ही यह इस संकट से उबर सकेगा। थिंक टैंक ने कहा यदि सहयोगी देशों की मदद नहीं मिली तो इंडो पैसिफिक में भूराजनीतिक संतुलन पर असर होगा।

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दक्षिण एशिया में भारत को अपना स्थान बहाल करने में मदद करना अमेरिका के हित में है। हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक ने कहा कि महामारी की शुरुआत में भारत ने अपने पड़ोसी देशों मेडिकल सहायता दी थी और 2021 के शुरुआती तीन महीनों में इसके वैक्सीन डिप्लोमैसी ने भारत को क्षेत्रीय नेता के तौर पर अहम जगह दिलाने में मदद की। यह अमेरिका के हित में होगा।

श्रीलंका और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और हडसन रिसर्चर अपर्णा पांडे ने लिखा, 'ऐसी संभावना थी कि भारत अपने दम पर चीन के ‘सॉफ्ट पावर’ का मुकाबला करने में सक्षम होगा। हालांकि अब भारत की घरेलू चुनौतियां ही उसकी क्षेत्रीय एवं वैश्विक महत्वाकांक्षाओं की राह में बाधा बन गई हैं।' हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के निदेशक हक्कानी हैं और थिंक टैंक में ‘इनिशिएटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया’ की निदेशक पांडे हैं।

हडसन द्वारा जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है, 'जब तक भारत अमेरिका जैसे सहयोगी देशों की मदद से इस संकट से उबर नहीं लेता तबतक महामारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भूराजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।' थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के पहले चरण में भारत ने क्षेत्रीय नेता की भूमिका निभाई। लेकिन सरकारी नेताओं द्वारा वैज्ञानिक सलाहकारों की सलाह को स्वीकार करने की अनिच्छा और वैक्सीन उत्पादन और वितरण में तेजी नहीं लाने ने भारत की स्थिति को गंभीर क्षति पहुंचाई है। 


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