सुरक्षा परिषद के एजेंडे पर भारत-अमेरिका के बीच हुई अहम बातचीत, साथ मिलकर करेंगे काम
इस बातचीत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एजेंडे से जुड़े विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। अमेरिका ने लोकतंत्र बहुलवाद तथा नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों को देखते हुए एक साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत को इस साल की शुरुआत में मैक्सिको और आयरलैंड के साथ एक जनवरी, 2021 से अगले दो साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(यूएनएससी) का अस्थायी सदस्य चुना गया था।इस बीच, अगले साल सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य भारत की अमेरिका मदद करेगा। इसको लेकर भारत और अमेरिका के बीच अहम बातचीत हुई है।
भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एजेंडे पर अहम बातचीत की। इस बातचीत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एजेंडे से जुड़े विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। हुई। अमेरिका ने लोकतंत्र, बहुलवाद तथा नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों को देखते हुए एक साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है।
भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संबंधित मुद्दों पर 28-29 अक्टूबर को यहां विचार-विमर्श किया और 2021-22 के दौरान UNSC के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के आगामी कार्यकाल के दौरान मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे और हाल के घटनाक्रमों पर मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। वे भारत के आगामी कार्यकाल में UNSC के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में एक साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए। दोनों देशों ने लोकतंत्र, बहुलवाद और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के अपने साझा मूल्यों को देखते हुए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
भारतीय दूतावास ने कहा कि विनय कुमार अतिरिक्त सचिव (अंतर्राष्ट्रीय संगठन और शिखर सम्मेलन), विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन, डीसी में 28-29 अक्टूबर 2020 को अमेरिकी राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से संबंधित मुद्दों पर परामर्श के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
यूएनएससी के 15 सदस्य हैं, जिनमें पांच स्थायी सदस्य हैं- पांच स्थायी सदस्य हैं अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस और चीन। चीन यूएनएससी का एकमात्र स्थायी सदस्य है जो इस शक्तिशाली अंग में भारत के शामिल होने का विरोध करता है। 10 गैर-स्थायी सदस्यों में से आधे हर साल दो साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।