2017 में 59% आतंकी हमला भारत, पाकिस्तान सहित पांच एशियाई देशों में
आतंक के खात्मे में कुछ हद तक सफलता मिली है लेकिन 2017 में आइएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों ने कई नए ठिकाने बनाए हैं जिससे इन्हें चिन्हित करना मुश्किल हो गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पिछले साल दुनियाभर में हुए कुल आतंकी हमलों में 59 फीसद निशाना सिर्फ पांच एशियाई देश रहे। भारत और पाकिस्तान भी इसमें शामिल है। गुरुवार को आतंकवाद पर जारी अमेरिकी विदेश विभाग की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में वैश्विक आतंकी हमले 23 फीसद कम हुए हैं। वहीं आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में भी 27 फीसद कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि आतंक के खात्मे में कुछ हद तक सफलता मिली है लेकिन 2017 में आइएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों ने कई नए ठिकाने बनाए हैं जिससे इन्हें चिन्हित करना मुश्किल हो गया है।
आतंक समर्थक देश बढ़ा रहे खतरा
आतंकवाद पैदा करने वाला ईरान सीरिया, यमन, इराक, बहरीन, अफगानिस्तान और लेबनान में इन देशों की आतंकियों को पोषित करने वाली नीतियों से आतंकवाद फल-फूल रहा है। ईरान के आतंक समर्थन से पैदा हो रहा खतरा न सिर्फ पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी बढ़ रहा है। यहां से आतंकवाद को पोषण देने धन इकट्ठा करने के लिए चलाया जा रहा नेटवर्क दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका तक फैला है।
आतंक से निपटने की तैयारी
अमेरिका ने आतंकवादी और कट्टरपंथी संगठनों का मुकाबला करने के लिए वैश्विक तौर पर सहभागिता दिखाई है। इनमें कड़ी विमानन सुरक्षा, कानून और नियम को कड़ा करने, आंतकी जानकारी फैलाने और कट्टरपंथी समूहों में भर्ती रोकने जैसी गतिविधियों पर कड़ा रुख किया है।
27% हमलों में होने वाली मौतों में कमी
वजह: आतंकियों का निशाना रहे इराक में पिछले साल हमलों की संख्या कम रही। इस वजह से वैश्विक आतंकी हमलों और इनमें होने वाली मौतों में कमी आई।
पांच देशों में 70 फीसद मौतें
2017 में 100 देशों में आतंकी हमले हुए जिनमें से 59 फीसद सिर्फ पांच एशियाई देशों में हुए। वहीं आतंकी हमलों में मरने वालों में से 70 फीसद दुनिया के सिर्फ पांच देशों में है जिसमें आतंक का गढ़ रहा अफगानिस्तान और सीरिया भी शामिल है।
आतंक के बदलते ठिकाने
रिपोर्ट के मुताबिक आइएस, अलकायदा और इनमें शामिल अन्य कट्टरपंथी संगठन 2017 में अपने ठिकानों तक सीमित न रहकर पूरी दुनिया खासकर बामाको, बार्सिलोना, बर्लिन, लंदन, मारवी, न्यूयॉर्क जैसे शहरों में फैले हैं। इस वजह से इन्हें खत्म करना कठिन हो गया है।
आइएस का बढ़ता जाल
रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया, इराक युद्ध में हिस्सा लेने और आइएस से जुड़ने गए विदेशी आतंकी लड़ाकों में से कुछ घरों को लौट गए और कुछ अन्य देशों में आइएस की शाखाओं से जुड़ने निकल पड़े। वहीं कुछ हमलावर सीरिया और इराक पहुंचे बिना आइएस के प्रभाव में आकर अपने ही देश र्में ंहसा फैला रहे हैं। ये हमलावर सार्वजनिक स्थान जैसे बाजार, होटल, पर्यटक स्थल को निशाना बनाते हैं।