ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों को किया जा सकता है कम, वैज्ञानिकों ने किया दावा
स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने दावा किया है एक ग्रीन हाउस गैस को अन्य में परिवर्तित करने से ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
बोस्टन, प्रेट्र। मीथेन को कार्बन डाइऑक्साइड में बदलकर जलवायु परिवर्तन की जंग जीत सकते हैं। स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों ने दावा किया है एक ग्रीन हाउस गैस को अन्य में परिवर्तित करने से ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
नेचर सस्टेनबिलिटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा कि गया है कि वायुमंडल में जानबूझकर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ना थोड़ा असहज करने वाला है, पर इससे वायुमंडल में मौजूद मीथेन को खत्म करने में मदद मिलती है और यह जलवायु के लिए लाभकारी हो सकता है। अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रॉब जैक्सन ने कहा कि यदि इसमें महारत हासिल कर ली तो यह तकनीक वायुमंडल में मीथेन और अन्य गैसों की सांद्रता वैसी बरकरार रख सकती हैं, जैसी उद्योगों के लगने से पहले थी।
एक पुराने अध्ययन में यह कहा गया था कि वर्ष 2018 में मानव निर्मित 60 फीसद मीथेन वायुमंडल में पहुंची। हालांकि, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बहुत ज्यादा है। मीथेन उत्पन्न होने के शुरुआती बीस सालों की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले 84 गुना ज्यादा गर्म रही है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, मीथेन उत्सर्जन के कई कारक (धान की खेती, पशुपालन आदि) ऐसे हैं कि इसे वायुमंडल से खत्म नहीं किया जा सकता। स्टैनफोर्ड के क्राइस फील्ड ने बताया कि ऐसे में वायुमंडल से मीथेन को हटाना कारगर सिद्ध हो सकता है और इसके वायुमंडल के ताप पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। शोधकर्ताओं ने कहा कि वातावरण में औद्योगिक क्रांति के पहले का स्तर को बनाए बिना कार्बन डाइऑक्साइड का हटाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मीथेन की सांद्रता को रि-स्टोर किया जा सकता है।
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