संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को मिली कोविशील्ड की दोनों डोज
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को भारत में निर्मित कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों खुराक मिल गई है। खुद उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकें मिली हैं।
संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को भारत में निर्मित कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों खुराक मिल गई है। खुद उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकें मिली हैं, क्योंकि दुनियाभर के अन्य देशों के पास यह वैक्सीन दी जा चुकी है। बता दें कि ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के लिए मालदीव के विदेश मंत्री को बतौर अध्यक्ष चुन गया था। उन्होंने तुर्की के वोल्कान बोजकिर की जगह ली है। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने उनकी जमकर तारीफ करते हुए कहा था कि सभी उनके अनुभव का फायदा उठाएंगे। यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटारेस ने शाहिद की तारीफ करते हुए कहा था कि उनके लंबे कूटनीतिक अनुभव से उन्हें दुनिया के सामने आई मौजूदा चुनौतियों से निपटने में बहुपक्षवाद की अहमियत का अहसास हुआ है।
उन्होंने ये भी कहा कि अगली महासभा के अध्यक्ष के तौर पर चुने गए शाहिद एक ऐसे छोटे से देश से आते हैं जो विकासशील देशों में शामिल है और लगातार आगे बढ़ रहा है। इस दौरान उन्होंने नवंबर 2021 में होने वाले वार्षिक यूएन जलवायु सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें शाहिद के अनुभव सभी के लिए फायदे का सौदा होंगे। इस मौके पर उन्होंने अफगानिस्तान के डॉक्टर जलमई रसूल का भी धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में उनके योगदान के लिए वो उन्हें धन्यवाद देते हैं।
गौरतलब है कि यूएन महासभा के 75वें सत्र के लिए वोल्कान बोजकिर को चुना गया था। शाहिद उनकी ही जगह ली है। यूएन महासचिव ने अपने एक बयान में बोजकिर की भी सराहना की थी। उन्होंने कहा कि महासभा के 76वें सत्र को वैश्विक महामारी से निपटने की चुनौती है। जिसके लिए तीन अहम बिंदु हैं टिकाऊ विकास, शांति और मानवाधिकार। इस अवसर पर उन्होंने महासभा की जरूरत और उसकी अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि ये यूएन की नींव है और एक संगठन के तौर पर हमारी कारगरता के लिये बेहद जरूरी भी है।