Human Immunodeficiency Viruses के मरीजों में बना रहता है चेचक का खतरा
HIV Patients अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के किया दावा कहा- ड्रग थेरेपी के जरिये इम्यून सिस्टम को दुरुस्त करने की कोशिश का भी नहीं मिल पाता लाभ।
वाशिंगटन, प्रेट्र। HIV Patients: टीकाकरण के बाद भी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस यानी एचआइवी के मरीजों में स्मालपॉक्स (चेचक) होने खतरा बना रहता है क्योंकि ऐसे मरीज अपनी इम्यूनिटी गंवा चुके होते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को ड्रग थेरेपी से बहाल करने के बाद भी उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पाता। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन के एचआइवी रोगियों में संक्रमण के खिलाफ नए तरीके से लड़ने के लिए तरीके खोजने मदद कर सकता है।
अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, इस स्थिति को एचआइवी से संबंधित इम्यून एमनेशिया कहा जाता है। इसके जरिये यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि आखिर क्यों एड्स के मरीज ड्रग थेरेपी के बावजूद भी एचआइवी नेगेटिव रिपोर्ट वाले लोगों के मुकाबले कम जिंदगी जीते हैं। जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सौ एचआइवी पॉजिटिव और नेगेटिव महिलाओं के इम्यून सिस्टम के टी-सेल और उनकी एंटीबॉडी रिस्पांस की तुलना की। ये सभी लोग ऐसे थे, जिन्होंने युवावस्था में स्मालपॉक्स का टीकाकरण करवाया था।
अपने निष्कर्षों के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि एंटीरेट्रोवाइरल ड्रग थेरेपी लेने वाली और एचआइवी पॉजिटिव महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम चेचक के टीके में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन के संपर्क में आने पर सीमित प्रतिक्रिया देती थी। उन्होंने कहा कि चेचक के टीकाकरण करने वालों में आमतौर पर सीडी4 टी कोशिकाएं ही होती हैं जो वायरस को याद करती हैं और बड़ी मात्रा में प्रतिक्रिया देती हैं।
इससे पहले हुए अध्ययनों से पता चला था कि ये विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाएं टीकाकरण के 75 साल बाद भी वायरस को बनाए रखती हैं। लेकिन हाल ही में हुए अध्ययन कहा गया है कि एंटीरेट्रोवाइरल ड्रग थेरेपी के बाद भी एचआइवी पॉजिटिव मरीजों में सीडी4टी सेल काउंट बढ़ाने के बाद भी स्मॉलपाक्स का खतरा बना रहता है। अब शोध टीम की योजना यह निर्धारित करने की है कि क्या एचआइवीसंक्रमित पुरुषों के लिए समान निष्कर्ष लागू होते हैं या नहीं।
फिर फैल सकता है चेचक
हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने चेचक की बीमारी फिर से फैलने का अंदेशा जताया था। उन्होंने इसके कई संकेत भी दिए थे। दरअसल, 1975 में विश्व स्वास्थ संगठन ने घोषणा की कि एशिया चेचक मुक्त हो चुका है। पांच साल बाद 1980 में पूरी दुनिया के चेचक मुक्त होने की घोषणा हुई। अब फिर से यह बीमारी सिर उठा रही है। जिसकी चपेट में न सिर्फ अफ्रीका बल्कि यूरोप और एशिया भी आ सकते हैं।