अमेरिकी स्कूलों में पढ़ाया जाएगा स्वर्णिम अध्याय लिखने वाली गदर पार्टी का इतिहास
गदर पार्टी की स्थापना के 105 वर्ष पूरा होने के मौके पर अटार्नी जनरल एलन एफ रोसेनब्लूम ने यह घोषणा की।
एस्टोरिया, प्रेट्र। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वर्णिम अध्याय लिखने वाली गदर पार्टी के बारे में अब अमेरिका के ओरेगन राज्य में स्कूली बच्चों को पढ़ाया जाएगा। गदर पार्टी की स्थापना के 105 वर्ष पूरा होने के मौके पर आयोजित समारोह में ओरेगन की अटार्नी जनरल एलन एफ रोसेनब्लूम ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि गदर पार्टी का इतिहास अब राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। इस कार्यक्रम का आयोजन गदर मेमोरियल फाउंडेशन द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम में मौजूद ओरेगन की गवर्नर केट ब्राउन ने कहा कि लगभग एक सदी पहले गदर पार्टी द्वारा भारत और पश्चिमी देशों में उठाए गए कदमों से भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त हुआ था। रोसेनब्लूम ने कहा कि आपका इतिहास मिश्रित है और नस्लवाद और भेदभाव का वैसा ही शिकार रहा है, जैसा आज कल हम अमेरिका में देख रहे हैं। अमेरिका जरूरी काम के लिए बाहरी लोगों को बुलाना तो चाहता है, लेकिन अमेरिकी नागरिकों को मिलने वाली सारी सुविधाएं और लाभ नहीं देना चाहता। उन्होंने कहा कि अन्याय का विरोध करने के लिए हमसे जो कुछ संभव होगा, हम करेंगे।
कोलंबिया नदी के किनारे हुए समारोह में ओरेगन ही नहीं वाशिंगटन राज्य, कैलिफोर्निया और यहां तक कि कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया से भी भाग लेने के लिए सैकड़ों भारतीय पहुंचे हुए थे। इस समारोह का आयोजन उस भवन के बराबर में बने पार्क में किया गया, जहां 105 साल पहले गदर पार्टी की स्थापना बैठक हुई थी। इस दौरान भांगड़ा और मार्शल आर्ट का भी प्रदर्शन किया गया।
एस्टोरिया से गदर पार्टी का संबंध कुछ साल पहले स्थानीय इतिहासकार योहाना आग्डेन ने अपने शोध के दौरान ढूंढा था। उन्होंने इस बारे में एस्टोरिया सिटी काउंसिल को लिखा, जिसके बाद 2013 में इसकी स्थापना के 100 साल पूरे होने पर एक पार्क में इसका मेमोरियल फलक स्थापित किया गया था।
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इनसेट
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अमेरिका से आजादी की अलख
सन 1910 में ओरेगन के एस्टोरिया शहर में 74 भारतीय रहते थे। इनमें ज्यादातर पंजाब से गए सिख थे और वहां पर एक कंपनी में मजदूर का काम करते थे। लाला हरदयाल ने इन भारतीयों को संगठित किया। इसके बाद 23 अप्रैल, 2013 को एस्टोरिया में गदर पार्टी की स्थापना की गई। इसका संस्थापक अध्यक्ष सरदार सोहन सिंह भाकना को बनाया गया। इस पार्टी ने हिंदुस्तान गदर नाम से अखबार निकालकर विदेश में बसे भारतीयों को भेजना शुरू किया। पहले विश्वयुद्ध के समय इस पार्टी ने जर्मनी की मदद से अफगानिस्तान के काबुल में निर्वासित आजाद भारत सरकार की स्थापना की और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया। अंग्रेजों ने हालांकि साथी देशों की मदद से आंदोलन को कुचल दिया। लेकिन, भारतीयों को आजादी की लंबी लड़ाई के लिए तैयार करने में इस पार्टी का अहम योगदान माना जाता है।
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