जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद निशाने पर दुनिया भर के ऐतिहासिक स्मारक
दुनिया भर में दास युग साम्राज्य काल की ऐतिहासिक मूर्तियां अब अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद संकट में हैं।
वाशिंगटन, एपी। अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus), सेसिल रोड्स (Cecil Rhodes) बेल्जिसम के सम्राट किंग लियोपोल्ड द्वितीय (Leopold II) समेत दुनिया भर के दास व्यापारियों, साम्राज्यवादियों व खोजकर्ताओं की मूर्तियां खतरे में हैं। बोस्टन (Boston), न्यूयार्क (New York), पेरिस (aris), ब्रुसेल्स ( Brussels), ऑक्सफोर्ड (Oxford) , इंग्लैंड (England) जैसे शहरों में प्रदर्शन और मूर्तियों को क्षति पहुंचाने के मामले सामने आए हैं। इस मामले में तमाम बुद्धिजीवी भी विभाजित नजर आ रहे हैं कि इन हिंसक मामलों के तहत इतिहास को मिटाया जा रहा है या इसे अपडेट किया जा रहा है। दूसरी ओर ब्रिटेन में नस्लीय हिंसा के बीच लंदन के महापौर ने उपनिवेशकालीन मुर्तियों को हटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह साम्राज्यवादी युग के अवशेष है।
नए पोल के अनुसार, चार में से एक अमेरिकी देश भर के ऐतिहासिक स्मारकों को बंद कराने के पक्ष में नहीं है। इस पोल के तहत 6 और 7 जून को करीब 1,990 लोगों ने अपना वोट डाला। इससे प्राप्त होने वाले परिणाम के अनुसार 44 फीसद अमेरिकी मुर्तियों को हटाना नहीं चाहते हैं जबकि 32 फीसद का मानना है कि मुर्तियों को हटाया जाना चाहिए। शेष 23 फीसद लोगों ने किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
वहीं इंग्लैंड में नस्लवाद का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों ने 17वीं सदी में गुलामों की खरीद-फरोख्त करने वाले एडवर्ड कोलस्टन की मूर्ति भी गिरा दी और गहरे पानी में डुबो दिया। ऐसा मानना है कि अपने जहाजों के जरिए कोलस्टन 80 हजार पुरुष, महिलाओं और बच्चों को अफ्रीका से ले गए थे।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (University of Oxford) में प्रदर्शनकारियों ने विक्टोरियाई साम्राज्यवादी रोड्स (Rhodes) की मूर्ति को हटा दिया जो दक्षिण अफ्रीका में केप कालोनी के प्रधानमंत्री थे। ऑक्सफोर्ड के वाइस चांसलर लुइस रिचर्डसन (Louise Richardson) ने बीबीसी को दिए गए अपने इंटरव्यू में ऐतराज जताया और कहा कि हमें अपने अतीत को चुनौती देने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के मिनियापोलिस में श्वेत पुलिस ऑफिसर ने अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन दबाई थी जिससे उसकी मौत हो गई । इसके बाद से ही देश भर में कान्फेडरेट स्मारकों को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। इनका मानना है कि ये प्रतिमाएं अनुचित रूप से उन लोगों का महिमामंडन करती हैं जिन्होंने दास प्रथा को बनाए रखने के लिए विद्रोह का नेतृत्व किया।