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‘ओकजोकुल’ के बाद अब ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर पर मंडराया संकट, खतरे में सैलामेंडरों का अस्‍ति‍त्‍व

हाल ही में ग्लेशियर ‘ओकजोकुल’ पूरी तरह पिघल कर खत्‍म हो गया था। अब ऐसी ही बुरी खबर ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर के बारे में सामने आई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 08:47 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 02:37 PM (IST)
‘ओकजोकुल’ के बाद अब ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर पर मंडराया संकट, खतरे में सैलामेंडरों का अस्‍ति‍त्‍व
‘ओकजोकुल’ के बाद अब ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर पर मंडराया संकट, खतरे में सैलामेंडरों का अस्‍ति‍त्‍व

वाशिंगटन, एजेंसी। दुनियाभर में हिमखंड और ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना चिंता का विषय बन गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर नष्ट हो रहे हैं। अभी हाल ही में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तरी पश्चिमी यूरोप के द्वीप आइसलैंड के पश्चिम में स्थित ग्लेशियर ‘ओकजोकुल’ पूरी तरह पिघल कर खत्‍म हो गया था। अब ऐसी ही बुरी खबर ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर के बारे में सामने आई है। अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा की ओर से जारी तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि ग्रीनलैंड ग्‍लेशियर के अधिकांश स्‍थानों की बर्फ 90 फीसदी तक खत्‍म हो गई है।

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55 अरब टन बर्फ हुई खत्‍म  
नासा के अनुसार, ग्रीनलैंड के बड़े ग्‍लेशियरों में से एक हेलीम ग्लेशियर (Helheim Glacier) लगभग 7.5 किलोमीटर बर्फ विहीन हो गया है। इसी तरह मिडगार्ड ग्लेशियर (Midgard Glacier) भी लगभग 16 किलोमीटर के दायरे में बर्फ विहीन हो गया है। नेशनल स्‍नो एंड आइस डाटा सेंटर (National Snow and Ice Data Center) के मुताबिक, बीते 30 जुलाई से दो अगस्‍त के बीच, 55 अरब टन बर्फ पिघलकर समुद्र में मिल गई है।

घास के मैदानों में आ रहा बदलाव
एक नए अध्‍ययन में खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन धरती में जीवों के साथ ही नदी, झरनों और पेड़-पौधों में भी व्यापक प्रभाव डाल रहा है। दुनियाभर के घास के मैदानों में जलवायु परिवर्तन की वजह से बदलाव आ रहा है। शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से कॉर्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है, जिसकी वजह से तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। परिणामस्वरूप सूखे के हालात भी बढ़ रहे हैं।

बदल रही पैधों की प्रजातियां 
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में 105 घास के मैदानों में जलवायु परिवर्तन की वजह से पैधों की प्रजातियों में बदलाव हुआ है। घास के मैदान में पाए जाने वाले पौधों की प्रजातियों की संख्या तो वही रही, लेकिन उनमें काफी बदलाव हो गया। ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर इतना व्यापक पड़ा कि कुछ घास के मैदानों में पौधों की सभी प्रजातियां बदल गई हैं।

सैलामैंडर की आबादी को खतरा
इससे इतर एक दूसरे अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण नदियों की धाराओं में परिवर्तन आने से सैलमैंडर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। ‘जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार नदियों के प्रवाह में बदलाव से सैलामैंडर विलुप्ति की कगार पर आ सकते हैं। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विंसर लोव की टीम ने इंग्लैंड के हैम्पशायर की पांच जल धाराओं के पास रहने वाले सैलामैंडरों के अध्ययन में पाया कि 1999 के बाद से यहां सैलामैंडर की आबादी में 50 फीसद तक की गिरावट आई है।


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