कोरोना की गंभीरता के लिए आनुवांशिक विविधता है जिम्मेदार, बीमारी के इलाज की खुल सकती है नई संभावनाएं
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (NEJM) में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार बीआइडीएमसी में कार्डियोवस्कुलर मेडिसिन विभाग के प्रमुख रॉबर्ट ई. गर्सजटेन के नेतृत्व में हुए शोध से कोरोना के बारे में नई जानकारियां हासिल होती हैं जिससे इस बीमारी के इलाज की नई संभावनाएं खुल सकती हैं।
बोस्टन, एएनआइ। बेथ इजरायल डेकोनेस मेडिकल सेंटर (BIDMC) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन में जेनेटिक जोखिम वाले कारकों पर प्रकाश डाला गया है जो कोरोना को गंभीर, कम या ज्यादा संवेदनशील बनाते हैं।
हर दिन हजारों लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं। इनमें से कुछ लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण होते हैं तो कई गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (NEJM) में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, बीआइडीएमसी में कार्डियोवस्कुलर मेडिसिन विभाग के प्रमुख रॉबर्ट ई. गर्सजटेन के नेतृत्व में हुए शोध से कोरोना के बारे में नई जानकारियां हासिल होती हैं जिससे इस बीमारी के इलाज की नई संभावनाएं खुल सकती हैं।
आनुवांशिक विविधता की वजह से ही कोरोना का देखने को मिलता है अलग-अलग असर
गर्सजटेन का कहना है कि मरीजों में पहले से मौजूद स्थितियां विशेष रूप से हृदय और पेट संबंधी रोग का कोरोना के प्रकार पर असर पड़ता है। एनईजेएम में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मरीजों की आनुवांशिक विविधता की वजह से ही कोरोना का अलग-अलग असर देखने को मिलता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने चीन, यूरोप और अमेरिका के रोगियों पर अध्ययन किया।
दुनिया में अब तक कोरोना से 14 लाख से ज्यादा मौतें
बता दे कि कोरोना महामारी से दुनिया के अधिकतर देश जूझ रहे हैं। पिछले चौबीस घंटों के दौरान अमेरिका में कोरोना के एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं। लगातार यह 26वां दिन जब एक लाख से अधिक कोरोना मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। महामारी से सबसे अधिक प्रभावित अमेरिका में संक्रमित मरीजों की तादाद एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा हो गई है। जबकि महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या दो लाख 64 हजार से ज्यादा है। उधर, विश्व में संक्रमित मरीजों की तादाद छह करोड़ 20 लाख से अधिक हो गई है जबकि साढ़े 14 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।