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चीन की नकेल कसने को जी-7 के देश तैयार, अमेरिका की अगुआई में चलेगा विकास अभियान

दुनिया के सबसे संपन्न सात देशों (जी 7) के शिखर सम्मेलन में शनिवार को चीन मुख्य मुद्दा रहा। चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ अमेरिका की अगुआई में जी 7 देशों ने पहली बार इतने आक्रामक ढंग से फैसले किए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 10:09 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 12:00 AM (IST)
चीन की नकेल कसने को जी-7 के देश तैयार, अमेरिका की अगुआई में चलेगा विकास अभियान
दुनिया के सबसे संपन्न सात देशों (जी 7) के शिखर सम्मेलन में शनिवार को चीन मुख्य मुद्दा रहा।

कार्बिस बे, रायटर। दुनिया के सबसे संपन्न सात देशों (जी 7) के शिखर सम्मेलन में शनिवार को चीन मुख्य मुद्दा रहा। चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ अमेरिका की अगुआई में जी 7 देशों ने पहली बार इतने आक्रामक ढंग से फैसले किए। चीन के वन बेल्ट-वन रोड (ओबीओआर) अभियान के जवाब में अमेरिका और पश्चिमी देश मिलकर बुनियादी सुविधाओं के विकास का नया अभियान शुरू करेंगे। इस अभियान में सैकड़ों अरब डॉलर (सैकड़ों लाख करोड़ रुपये) की परियोजनाएं होंगी।

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चीन की काट के लिए नया प्रोजेक्‍ट 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जी-7 देशों के अन्य नेताओं के अनुसार इस परियोजना का नाम बिल्ड बैक बेटर व‌र्ल्ड (बी3डब्ल्यू) होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस कार्यालय के अनुसार इस अभियान के तहत पारदर्शी तरीके और आपसी साझेदारी से आधारभूत ढांचे का विकास किया जाएगा। इसके तहत विकासशील देशों में 2035 तक 40 ट्रिलियन डॉलर की रकम खर्च की जाएगी।

पर्यावरण संरक्षण को लेकर जताई प्रतिबद्धता

बाइडन प्रशासन के अधिकारी ने कहा, इस मामले में हमारा चीन के साथ कोई टकराव नहीं है। हम अपने मूल्यों, गुणवत्ता और कारोबार के तरीके को लेकर आगे बढ़ेंगे। जी-7 के देश निजी क्षेत्र की पूंजी का इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, डिजिटल टेक्नोलॉजी और लैंगिक समानता के क्षेत्र में कार्य करने को बढ़ावा देने के लिए भी करेंगे। इन क्षेत्रों में कार्य का क्या स्वरूप होगा और इसमें कितना धन खर्च किया जाएगा, यह अभी निश्चित नहीं किया गया है।

यह है चीन की महत्‍वाकांक्षी परियोजना 

चीन का ओबीओआर अभियान लाखों करोड़ रुपये का दुनिया में आधारभूत ढांचा तैयार करने का अभियान है। इसे वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2013 में शुरू किया था। लेकिन इस अभियान की शर्तों और पारदर्शिता के अभाव को लेकर विवाद की स्थिति रही है। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों ने इस अभियान को लेकर चीन के साथ समझौता कर रखा है।

ऐसे अपने जाल में फंसाता है चीन 

इसके तहत चीन उन देशों में रेलवे, हाईवे, एयरपोर्ट, सीपोर्ट, मेट्रो रेल, पावर स्टेशन और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित करेगा। चीन इन कार्यों के लिए कर्ज भी देता है और उसकी कंपनियां ही इन योजनाओं के लिए ठेका भी लेती हैं। ऐसे में समझौते में शामिल देश के पास अपने हितों की रक्षा के बहुत कम विकल्प बचते हैं।

चीन को मिलेगी कड़ी चुनौती 

पूरी दुनिया में चीन की साझेदारी वाली 2,600 से ज्यादा विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें 370 अरब डॉलर (करीब 30 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी लगी हुई है। जी-7 के सदस्य देशों- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा ने अब चीन की ओबीओआर से बेहतर विकल्प दुनिया के सामने रखने का फैसला किया है।

बाइडन को नहीं आएगी दिक्‍कत 

अब जी-7 की इस योजना को बढ़ाने के लिए अमेरिका अपनी संसद की अनुमति लेकर आगे बढ़ेगा। चूंकि चीन के मसले पर सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी और विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी की नीति समान है, इसलिए बाइडन को इस योजना को आगे बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

बंधुआ मजदूरी प्रथा पर सख्ती करेगा जी-7

जी-7 के सम्मेलन में चीन में व्याप्त बंधुआ मजदूरी प्रथा पर भी कड़े फैसले लेने की सहमति बनी। साथ ही चीन के शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यकों को दमनचक्र को रोकने के लिए समन्वित प्रयास करने पर बल दिया गया। 


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