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भारत ने कहा- विदेशी लड़ाके आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को कर रहे कमजोर

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि विभिन्न देशों में चल रहे संघर्ष में शामिल विदेशी लड़ाके आतंकी संगठन अल कायदा और आइएस के सदस्य जैसे ही हैं। ये लड़ाके आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 12:40 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 12:40 AM (IST)
हिंसाग्रस्त देशों में विदेशी लड़ाके बन गए हैं समस्या।

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। विभिन्न देशों में चल रहे संघर्ष में शामिल विदेशी लड़ाके आतंकी संगठन अल कायदा और आइएस के सदस्य जैसे ही हैं। ये लड़ाके उन देशों के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं। भारत ने यह बात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कही है। मौका था सुरक्षा परिषद में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग पर आयोजित सेमिनार का।

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त्रिमूर्ति ने कहा- विदेशी लड़ाके आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, अंदरूनी लड़ाई में शामिल विदेशी लड़ाके उस देश में चल रही शांति स्थापित करने वाली गतिविधियों को नुकसान पहुंचाते हैं। वे नहीं चाहते कि हिंसाग्रस्त देश में शांति हो और उनकी भूमिका खत्म हो। ये लड़ाके हिंसा की स्थिति बनाए रखने के लिए स्थानीय नौजवानों को भड़काते हैं और उन्हें धार्मिक तौर पर भ्रमित करते हैं। ये वही कार्य करते हैं जो आतंकी संगठन अल कायदा और आइएस के सदस्य करते हैं। विश्व बिरादरी की ओर से हिंसाग्रस्त देशों में शांति स्थापना की कोशिश संयुक्त राष्ट्र करता है। इसलिए ये लड़ाके संयुक्त राष्ट्र के प्रयास को बाधित करते हैं।

त्रिमूर्ति ने कहा- विदेशी लड़ाके शांति स्थापित नहीं होने दे रहे

त्रिमूर्ति ने कहा, लीबिया में लड़ रहे विदेशी लड़ाके वहां के हालात को लगातार बिगाड़ रहे हैं। इससे पूरा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। यह हमारे आतंकवाद निरोधी अभियान को भी कमजोर कर रहा है। वहां पर अरब लीग शांति बहाली के लिए कोशिश कर रही है लेकिन सफल नहीं हो रही। यही स्थिति सीरिया और यमन में भी बनी हुई है। वहां पर भी लड़ाके शांति स्थापित नहीं होने दे रहे। संयुक्त राष्ट्र को इन विदेशी लड़ाकों और इन्हें समर्थन दे रहे देशों पर ध्यान देना चाहिए।


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