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अब चंदा मामा पर होगी महिलाओं की दस्‍तक, जानें-क्‍या है अमेरिका की महत्‍वाकांक्षी स्‍पेस योजना

अमेरिकी वैज्ञानिक जल्‍द ही महिला मानव को चंदा मामा की गोद में पहुंचा देंगे। आइए जानते हैं कि आखिर क्‍या है अमेरिका की चांद पर पहुंचने की नई योजना।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 11:32 AM (IST)
अब चंदा मामा पर होगी महिलाओं की दस्‍तक, जानें-क्‍या है अमेरिका की महत्‍वाकांक्षी स्‍पेस योजना
अब चंदा मामा पर होगी महिलाओं की दस्‍तक, जानें-क्‍या है अमेरिका की महत्‍वाकांक्षी स्‍पेस योजना

वाशिंगटन, जेएनएन। 'चंदा मामा दूर के, पुए पकावे गुड़ के' बचपन में सूनी जाने वाली इस लोरी गीत में भले चंदा मामा दूर के रहे हों, लेकिन वैज्ञानिकों ने अब चंदा मामा तक की पहुंच को आसान बना दिया है। जी हां, अमेरिकी वैज्ञानिक जल्‍द ही महिला मानव को चंदा मामा की गोद में पहुंचा देंगे। आइए जानते हैं कि आखिर क्‍या है अमेरिका की चांद पर पहुंचने की नई योजना।

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अमेरिका करीब पांच दशक बाद चंद्रमा पर दोबारा मानव मिशन की तैयारी में जुट गया है। वह अगले पांच साल में इस अभियान को पूरा करना चाहता है। नेशनल स्पेस काउंसिल की बैठक में उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा, बीती सदी के सातवें और आठवें दशक की तरह हम फिर अंतरिक्ष की होड़ में हैं। तब हमारे सामने सोवियत संघ था और अब चीन है। इसी कारण हमें 2024 तक चांद पर पहुंचना ही होगा।

अमेरिका ने इस बात का ऐलान किया है अगले पांच वर्षों में चंद्रमा पर पहुंचने वाली पहली महिला व पुरुष कोई अमेरिकी होगा। अमेरिका के उप राष्‍ट्रपति ने सोमवार को कहा कि अमेरिका चांद पर एक और अंतरिक्ष अभियान की योजना बना रहा है। अंतरिक्ष रहस्‍यों से पर्दा उठाने के लिए राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस अभियान को हरी झंडी दी है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक अमेरीकियों के लिए यह गर्व का विषय होगा। हम एक बार फ‍िर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी रॉकेट से लॉन्‍च करेंगे। यह अमेरिकी की महत्‍वाकांक्षी योजना है। इस योजना का विस्‍तार किया जाएगा। इसका भारी भरकम वजट होगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अधिकारियों ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है। नासा के जिम ब्राइडेंस्टाइन ने कहा, 'हम चुनौती स्वीकार करते हैं। अब काम पर जुटने का समय है।' नासा इस समय अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) पर भेजने के लिए भी संघर्ष कर रहा है। बता दें कि 2011 में अमेरिका का स्पेस शटल प्रोग्राम खत्म हो गया था। उसके बाद से एजेंसी अंतरिक्ष यात्रियों को आइएसएस पर भेजने के लिए रूस के सोयूज यान पर निर्भर है। 1972 के बाद से नासा ने चांद पर भी कोई मानव मिशन नहीं भेजा है। वह 2024 तक चांद की कक्षा में 'गेटवे' स्टेशन स्थापित करने और 2028 में मानव मिशन लांच करने की तैयारी में था। लेकिन पेंस की घोषणा के बाद उसके सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

इस अमेरिकी अंतरिक्ष योजना का ऐलान वाशिंगटन डीसी में छह मई से शुरू हुए एक मेगा इवेंट में की गई। इस मौके भारत समेत दुनिया के 15 हजार वैज्ञानिक दस्‍तक दे रहे हैं। इस स्‍पेसिफ‍िकेशन्‍स ग्रुप को नेशनल स्‍पेश काउंसिल में असेंबल किया। इसने एक मंच पर दुनिया के कुछ प्रतिभावन लोगों को एक मंच पर एकत्र किया। इसका मकसद स्‍पेश एंटरप्राइज में इनोवेशन में तेजी लाना है।

SLS रॉकेट में देरी के कारण टल रहा चंद्र मिशन

सोयूज यान पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए नासा ने अंतरिक्ष यान और रॉकेट बनाने का करार स्पेस एक्स और बोइंग जैसी निजी कंपनियों को दिया है। चंद्र मिशन के लिए बोइंग स्पेस लांच सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट विकसित कर रही है। 2020 में एसएलएस पर मानव रहित मिशन लांच किया जाना था। लेकिन नासा ने हाल में कहा था कि 2020 तक रॉकेट शायद तैयार नहीं हो पाएगा।

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