NATO: कल होगी फिनलैंड और स्वीडन के नेताओं की राष्ट्रपति बाइडन से मुलाकात, जानें- क्या है इसकी अहमियत
NATO के लिए औपचारिक आवदेन करने के बाद अब फिनलैंड और स्वीडन के नेताओं की मुलाकात गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से होनी है। व्हाइट हाउस में होने वाली ये मुलाकात बेहद खास मानी जा रही है।
वाशिंगटन (रायटर)। फिनलैंड और स्वीडन ने दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री एलाइंस NATO की सदस्यता हासिल करने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन दे दिया है। ये आवेदन दोनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा लिखे गए एक पत्र की शक्ल में है। इस पर अब नार्थ एटलांटिक काउंसिल में चर्चा होगी। दोनों देशों को इसकी सदस्यता हासिल करने में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। इस बीच फिनलैंड और स्वीडन के नेताओं की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से व्हाइट हाउस में मुलाकात होनी है। ये मुलाकात अपने आप में बेहद खास है।
मुलाकात क्यों है खास
इस मुलाकात में जहां पर रूस के रवैये पर चर्चा हो सकती है वहीं कई दूसरे बड़े मसलों पर भी विचार विमर्श किया जा सकता है। खास बात ये है कि इन दोनों नेताओं को खुद राष्ट्रपति बाइडन ने ही चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। दोनों ही देशों ने अपनी-अपनी पार्लियामेंट में नाटो में शामिल होने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद ही आवेदन दाखिल किया है। फिनलैंड और स्वीडन की अमेरिकी राष्ट्रपति से होने वाली मुलाकात पर रूस की भी नजर जरूर रहेगी। इस मुलाकात में तुर्की के रवैये पर भी चर्चा होने की संभावना है। बता दें कि तुर्की ने इन दोनों देशों को इस संगठन का सदस्य बनाने का विरोध किया है। तुर्की का कहना है कि आतंकी संगठनों के खिलाफ इन दोनों देशों का रवैया संतोषजनक नहीं रहा है।
शीत युद्ध में तटस्थ रहे हैं दोनों देश
इन दोनों देशों का इस संगठन में शामिल होने के लिए आवेदन देना भी बेहद खास है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका-रूस में वर्षों तक चले शीत युद्ध के दौरान इन दोनों देशों की भूमिका पूरी तरह से तटस्थ रही थी। लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यूरोप में समीकरण बड़ी ही तेजी से बदले हैं। अब इन दोनों देशों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। यही वजह है कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों ने ही NATOमें शामिल होने का मन बनाया है।
इस बीच रूस ने कहा है कि उसको इन दोनों देशों के नाटो बनने से समस्या नहीं है। लेकिन यदि ना