अमेरिकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ.एंथनी फासी ने भी जताया कोरोना वायरस के लैब में बनाए जाने का शक
फॉक्स न्यूज से बातचीत में डॉ. फासी ने कहा कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की चर्चा भी इसी आशंका से जुड़ी है कि वायरस को लैब में तैयार किया गया। हो सकता है कि वायरस वुहान स्थित लैब से दुर्घटनावश बाहर आ गया हो।
वाशिंगटन, एएनआइ। दुनिया के दिग्गज संक्रामक रोग विशेषज्ञ और अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के सलाहकार डॉ. एंथनी फासी ने कहा है कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में तैयार विषाणु हो सकता है। अमेरिका के वैज्ञानिकों को कोविड-19 महामारी फैलाने वाले इस वायरस के प्रयोगशाला में तैयार होने का शक फरवरी 2020 में ही हो गया था।
फॉक्स न्यूज से बातचीत में डॉ. फासी ने कहा, कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की चर्चा भी इसी आशंका से जुड़ी है कि वायरस को लैब में तैयार किया गया। हो सकता है कि वायरस वुहान स्थित लैब से दुर्घटनावश बाहर आ गया हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन की आधी-अधूरी जांच के बाद आई रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद इस चर्चा ने फिर जोर पकड़ा है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब में तैयार हुआ। इसी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बाकायदा आदेश जारी कर 90 दिनों में वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए एजेंसियों से कहा।
वुहान के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में तीनों शोधकर्ताओं में पाए गए थे कोविड जैसे लक्षण
इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने दिसंबर 2019 में कोविड-19 का पहला मरीज मिलने की बात कही है। जबकि वुहान के वायरोलॉली इंस्टीट्यूट में कार्यरत तीन शोधकर्ता इसके महीने भर पहले नवंबर में बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे। उन तीनों शोधकर्ताओं में कोविड जैसे लक्षण पाए गए थे।
अब तक दुनियाभर में कोरोना से 40 लाख से ज्यादा लोग गंवा चुके हैं अपनी जान
बता दें कि दुनियाभर में कोरोना से 40 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। रॉयटर्स टैली के अनुसार, कोरोना से मौतों का आंकड़ा गुरुवार को 40 लाख के पार हो गया। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में नए मामलों और मौतों की संख्या में कमी आई है। वहीं, कई देशों में वैक्सीन की कमी है और वायरस का डेल्टा वेरिएंट परेशानी का सबब बना हुआ है। रॉयटर्स के एनालिसिस के अनुसार कोरोना से मौत के आंकड़े को 20 लाख तक पहुंचने में एक साल से ज्यादा समय लगा, जबकि अगले 20 लाख तक के आंकड़े तक पहुंचने में केवल 166 दिन लगे थे।