Move to Jagran APP

पैंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन का दावा- आइएसआइ की कठपुतली है तालिबान

काबुल पर कब्जा करने वाला तालिबान पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान में सरकार बनाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर मतभेद चल रहा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 02:22 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 02:22 PM (IST)
पैंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन का दावा- आइएसआइ की कठपुतली है तालिबान
आपसी झगड़े में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर घायल

काबुल, एएनआइ। तालिबान के भीतर चल रहे आंतरिक संकट को हल करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के प्रमुख फैज हमीद ने काबुल का दौरा किया। खबरों के अनुसार, अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर तालिबान के गुटों के बीच झड़प हुई, जिसमें समूह के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर घायल हुए हैं और फिलहाल पाकिस्तान में उनका इलाज चल रहा है।

loksabha election banner

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एइआइ) के रेजिडेंट स्कालर माइकल रुबिन ने लिखा है कि हमीद की आपातकालीन काबुल यात्रा इस बात की पुष्टि करता है कि तालिबान केवल आइएसआइ की कठपुतली है। 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने वाला तालिबान पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान में सरकार बनाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। हालांकि समूह ने अभी तक इस पर कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर मतभेदों के कारण सरकार के गठन में देरी हुई है।

आफगानिसे्तान पर कब्जे में बाद से ही कहा जा रहा था कि तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ही नए अफगान शासन का नेतृत्व करेंगे, लेकिन सरकार गठन की घोषणा से पहले ही अपसी संघर्ष के दौरान वो घायल हो गए है और वर्तमान में पाकिस्तान में उनका इलाज चल रहा है। तालिबान में दरार का संकेत देते हुए रुबिन ने कहा कि हक्कानी और कई अन्य तालिबान गुट हबितुल्लाह को अपना नेता स्वीकार नहीं करते हैं।

पाकिस्तान के खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद शनिवार को पाकिस्तानी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए काबुल पहुंचे। रुबिन लिखते हैं सरकार गठन में देरी ने मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के काबुल में एक राजनीतिक नेता बनने के प्रयासों को झटका दिया है। यह देरी तालिबान के भीतर एक बड़े संकट का संकेत दे सकती है, इसलिए हमीद की काबुल की आपातकालीन यात्रा पर पहुंचे।

पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा कि उनकी हालिया यात्रा से अफगान सरकार को गिराने में आइएसआइ का हाथ उजागर हो गया है। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के लिए एक बेहतर तरीका यह हो सकता है कि फैज हमीद और उसके संगठन को आतंकवादी के रूप में नामित करे, जिसने बहुत लंबे समय तक अफगानिस्तान को जख्म दिया है। पाकिस्तान और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी पर अफगानिस्तान पर कब्जा करने में तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि चुनी हुई अफगान सरकार को सत्ता से हटाने और तालिबान को अफगानिस्तान में एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान एक प्रमुख खिलाड़ी रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में रहता है। सालेह ने पश्चिमी शक्ति पर प्रहार करते हुए कहा कि पश्चिम द्वारा अफगानिस्तान के साथ विश्वासघात किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.