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कोरोना वायरस में लापरवाही से पहले भी WHO पर उठी थी उंगली, जानिए क्या था कारण

संगठन की ओर टीम डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला वायरस की जांच और उसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भेजी गई थी उसी टीम में शामिल लोगों ने वहां पर रहने वाली महिलाओं और युवतियों का गलत इस्तेमाल किया उनका दैहिक शोषण किया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 06:37 PM (IST)
डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयियस। (फाइल फोटो)

जेनेवा, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकर्ताओं पर कांगो शहर में इबोला वायरस की रोकथाम के दौरान महिलाओं और युवतियों को गालियां देने और उनसा इस्तेमाल किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले के सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से जु़ड़े कार्यकर्ताओं पर उंगलियां उठने लगी हैं।

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कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम करने और उसके बारे में पहले से सूचना न दिए जाने को लेकर अमेरिका ने कुछ माह पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को उसकी जिम्मेदारियों की याद दिलाई थी और ऐसा मामला सामने आने के बाद एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। दरअसल संगठन की ओर टीम डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला वायरस की जांच और उसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भेजी गई थी, उसी टीम में शामिल लोगों ने वहां पर रहने वाली महिलाओं और युवतियों का गलत इस्तेमाल किया, उनका दैहिक शोषण किया। 

जिनेवा में स्थित एक गैर-लाभकारी समाचार संगठन न्यू ह्यूमैनिटेरियन और थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने मंगलवार को एक वार्षिक जांच के निष्कर्षों को प्रकाशित किया जिसमें बताया गया कि 51 में से 30 महिलाओं ने 2018 में शुरू होने वाले इबोला प्रकोप पर डब्ल्यूएचओ के लिए काम करने वाले पुरुषों द्वारा शोषण की सूचना दी। इस पर डब्ल्यूएचओ की ओर से कहा गया कि यौन शोषण के प्रति इसकी सहिष्णुता की नीति है, यदि किसी कर्मचारी ने इस तरह की हिमाकत की है तो उसके खिलाफ जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

WHO ने रिपोर्ट के बारे में एक बयान में कहा कि हम जिन समुदायों की सेवा करते हैं, उनमें लोगों के साथ विश्वासघात निंदनीय है। उन्होंने कहा कि हम अपने किसी भी कर्मचारी, ठेकेदार या साझेदार में इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं करते हैं। यदि इस तरह के किसी मामले में किसी कर्मचारी का नाम प्रकाश में आता है और उसे सही पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उसे गंभीर परिणाम भी भुगतने होंगे। 

इससे पहले भी 1990 के दशक में बोस्निया में संघर्ष और मध्य अफ्रीकी गणराज्य में मदद करने के लिए गई टीम पर भी ऐसे ही आरोप लगे थे। अब फिर से इस तरह के मामले सामने आए हैं। जो टीम बोस्निया भेजी गई थी, उसका उद्देश्य वहां पर शांति स्थापित करना था। जांच की गई 51 महिलाओं ने पत्रकारों को बताया कि उन पर WHO और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों के कर्मचारियों के साथ-साथ कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय के कर्मचारियों को भी यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डाला गया था।

महिलाओं ने कहा कि जब वे नौकरी की मांग कर रही थी, तब उन्होंने दबाव का सामना किया। आठ महिलाओं ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के कर्मचारियों द्वारा उनका शोषण किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ल्ड विजन ने एक आंतरिक जांच की थी और आरोपों को "चौंकाने वाला" बताया था, जबकि ALIMA ने कहा कि वह आरोपों की जांच करेगा।

कांगोलस की राजधानी किंशासा में एक यूनिसेफ के प्रवक्ता जीन-जैक्स साइमन ने रिपोर्ट में कहा कि उनके संगठन को दो साथी संगठनों के कर्मचारियों से संबंधित जानकारी मिली थी जो द न्यू ह्यूमैनिटेरियन और थॉमसन रॉयटर्स द्वारा रिपोर्ट किए गए मामलों से अलग प्रतीत होते हैं। यूनिसेफ ने कहा कि उसे जिनेवा में संगठन के एक प्रवक्ता मैरिक्सी मर्कैडो के अनुसार, अपने स्वयं के कर्मचारियों के खिलाफ आरोप नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ ने संवाददाताओं से पूछा था कि क्या संगठन अपनी रिपोर्ट में उद्धृत महिलाओं से संपर्क कर सकता है ताकि यह कर्मचारियों या साझेदार संगठनों के खिलाफ उनके आरोपों की जांच कर सके। 

डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयियस ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी। साथ ही इन विशिष्ट आरोपों की भी जांच होगी, इसके अलावा आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा के व्यापक मुद्दों को भी देखा जाएगा। कांगो में लगाए गए आरोपों ने पूर्वोत्तर के शहर बेनी पर ध्यान केंद्रित किया, जो घातक इबोला वायरस के प्रकोप के खिलाफ दो साल की लड़ाई में एक केंद्र बिंदु था, जिसमें डब्ल्यूएचओ ने लगभग 1,500 कर्मचारियों के सदस्यों और सलाहकारों को भेजा था।

कांगो के स्वास्थ्य मंत्री एतेनी लोंगोंडो ने जांच में बताया कि उन्हें सहायताकर्मियों द्वारा शोषण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। महिलाओं ने कहा कि उन्हें कार्यालयों, अस्पतालों और बाहर भर्ती केंद्रों में इन चीजों के लिए बुलाया जाता था। इन जगहों पर नौकरियों की खाली पोस्ट की सूचना दी गई थी जिससे ये लोग सीधे वहीं पहुंचे। एक महिला ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि उन लोगों को ऐसी जगहों पर बुलाया जाता था उसके बाद उनके साथ गलत और गंदे काम किए जाते थे। उसी के बाद नौकरी जैसी चीजें मुहैया कराए जाने के लिए कहा जाता था।

कुछ महिलाओं को इन कामों के बदले में रसोइया, सफाईकर्मी या सामुदायिक श्रमिकों के रूप में काम दिया गया। एक महिला ने तो यहां तक आरोप लगाया कि उसके पति की वायरस की चपेट में आने से मौत हो गई थी, उसके बाद उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श सत्र के लिए बुलाया गया, फिर वहां नशा दिया गया और उसके बाद उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। दो महिलाओं ने कहा कि वो इन संबंधों की वजह से गर्भवती हो गईं।

आरोप लगाने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्होंने अपनी नौकरी खो जाने के डर से इन लोगों के खिलाफ कभी कोई शिकायत या रिपोर्ट नहीं की थी। इस मामले में जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों से पूछताछ की गई तो उन्होंने भी बताया कि वो महिलाओं को होटल, घरों और सहायता कर्मियों के ऑफिसों में पहुंचाया करते थे। एक ड्राइवर ने तो यहां तक बताया कि उसके रोजाना के काम में ये भी चीजें शामिल थीं।  


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