रोमियो को मिल गई जूलियट: खास प्रजाति के अकेले मेंढक को एक दशक बाद मिली साथी
दुनिया में अपनी प्रजाति के अकेले मेंढक रोमियो को उसकी साथी मिल गई है। इससे बोलीविया के बरसाती जंगलों में पाए जाने वाले सेहुएनकास प्रजाति के इस मेंढक को विलुप्त होने से बचाने की उम्मीद बढ़ गई है।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। दुनिया में अपनी प्रजाति के अकेले मेंढक 'रोमियो' को उसकी साथी मिल गई है। इससे बोलीविया के बरसाती जंगलों में पाए जाने वाले सेहुएनकास प्रजाति के इस मेंढक को विलुप्त होने से बचाने की उम्मीद बढ़ गई है। एक दशक से माना जा रहा था कि रोमियो इस प्रजाति का आखिरी मेंढक है। शोधकर्ताओं के एक दल ने इस प्रजाति की मादा मेंढक ढूंढने में सफलता हासिल की है। उन्हें उम्मीद है कि इनके प्रजनन से इस प्रजाति को बचाया जा सकेगा।
बांध बनने के कारण तबाह हो गया था इनका प्राकृतिक आवास
बोलीविया के सेहुएनकास क्षेत्र के नाम पर ही इस प्रजाति का नाम रखा गया है। ये मेंढक ज्यादातर समय पानी में ही रहते हैं। ये 10 से 15 साल तक जीवित रहते हैं। आहार के लिए ये मुख्यत: कृमियों पर निर्भर हैं। कई अन्य जीवों की तरह ही ये भी जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आवास खत्म होने से विलुप्ति की कगार पर हैं। बोलीविया के जिस इलाके की नदी और झील में ये पाए जाते थे, वहां बांध बनाए जाने से इनका नामोनिशान लगभग मिट गया था। करीब दस साल पहले रोमियो को बचाकर बोलीविया के ही एक म्यूजियम में रखा गया था। उसके बाद से इस प्रजाति के अन्य मेंढकों की तलाश की जा रही थी। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेशन ने इसे संकटग्रस्त जीवों की सूची में शामिल कर लिया था।
ट्विटर पर आने के बाद दुनियाभर में मशहूर हुआ था रोमियो
रोमियो की कहानी से दुनिया को वाकिफ कराने के लिए ट्विटर पर उसका अकाउंट बनाया गया था। उसकी जूलियट ढूंढने के लिए मैच डॉट कॉम पर इसका प्रोफाइल भी बनाया गया था। पिछले साल मादा सेहुएनकास मेंढक को ढूंढने के लिए करीब 25 हजार डॉलर भी जुटाए गए थे। लंबे प्रयास के बाद हाल में पांच सेहुएनकास मेंढकों की खोज हुई है। इनमें तीन नर और दो मादा हैं। एक मादा मेंढक को जूलियट नाम दिया गया है। इसके साथ ही रोमियो का प्रजनन कराया जाएगा।
फंगल संक्रमण से हैं पीड़ित
रोमियो के साथ ही इस प्रजाति के अन्य मेंढक काइट्रीडायोमाइकोसिस नामक फंगल संक्रमण से पीड़ित हैं। यह भी इनकी विलुप्ति का प्रमुख कारण है। प्रजनन से पहले वैज्ञानिक दोनों मेंढकों में इस बीमारी के कारण, बचाव और उनके प्राकृतिक आवास को लेकर शोध करेंगे।