इन गलतियों के कारण डूबा था दुनिया का सबसे विशाल पोत टाइटेनिक, पहली बार खुलासा
जहाज टाइटेनिक के डूबने की घटना में करीब 1500 सौ लोग मारे गए थे। पहली बार इसके हिमखंड से टकराने और समुद्र में समाने की वजहें एक डॉक्यूमेंट्री में सामने आई हैं। पढ़ें रिपोर्ट...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अप्रैल 1912 में अपनी पहली यात्रा के दौरान ही उस जमाने का सबसे शानदार, विशालकाय और सुरक्षित जहाज टाइटेनिक की विशाल हिमखंड से टकराने के बाद अटलांटिक महासागर में जलसमाधि बन गई थी। इस घटना में करीब 1500 सौ लोग मारे गए थे। पहली बार इसके हिमखंड से टकराने और समुद्र में समाने की वजहें एक डॉक्यूमेंट्री में सामने आई हैं। टेन मिस्टेक्स दैट संक द टाइटेनिक नामक डॉक्यूमेंट्री को दुनिया के जाने-माने जहाज विशेषज्ञों ने सालों-साल शोध करने के बाद तैयार किया है। डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि जहाज के रास्ते को देखने के लिए जिन अधिकारियों की तैनाती की गई थी, उनसे उस कक्ष की चाबी ही गुम हो गई थी जिसमें दूरबीन रखी थी। ऐसी ही हैरतअंगेज 10 चूकों के चलते विशालकाय पोत समुद्र में समा गया और दुनिया के सामने एक बड़ी त्रासदी छोड़ गया।
खिड़कियों को खोलने से भी ज्यादा नुकसान हुआ
टाइटेनिक जहाज के रुकते ही यात्री परेशान हो उठे। वे अपने पास की छोटी खिड़कियों को खोलकर देखने लगे कि आखिर क्या हुआ है। हालांकि सभी यात्रियों को जहाज की छत पर जाने को कहा गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जहाज पर सवार लोग लाइफ बोट पर जाने से पूर्व 12 खिड़कियों को खुला छोड़ गए। इससे जहाज में तेजी से पानी भरना शुरू हो गया। टाइटेनिक में ऐसी सैकड़ों खिड़कियां थीं।
मशीनों से नहीं हुआ था कीलें लगाने का काम
टाइटेनिक के आगे का हिस्सा इतना बड़ा था कि इसमें कील लगाने का काम हाथ से करना पड़ा था। जहाज में 30 लाख कीलें लगी हुई थीं। उच्च गुणवत्ता वाली कीलें लगाने के लिए बड़ी हाइड्रोलिक मशीन की जरूरत होती, लेकिन यहां ऐसा करना संभव नहीं था। यहां मैनुअली ही लोहे की कीलें लगाई जानी थीं, जिससे इनकी गुणवत्ता कमतर रही। ऐसे में हिमखंड से टकराते ही जहाज का यह हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। जहाज के इस भाग के टूटने से पानी भर गया।
दूरबीन वाले केबिन की चाबी नहीं थी
डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक, टाइटेनिक इसलिए डूबा क्योंकि उस समय ड्यूटी पर मौजूद अधिकारियों के पास उस केबिन की चाबी नहीं थी, जिसमें दूरबीन रखी हुई थी। इससे आगे के हिमखंड को नहीं देखा जा सका। हिमखंड दिखने के 30 सेकंड बाद ही टाइटेनिक टकरा गया था। ’ जहाज को डूबने में दो घंटे 40 मिनट लगे थे। ’ टाइटेनिक जब डूबा, उस दिन उसके सफर का चौथा दिन था। ’ यह उस समय दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था, जिसकी लंबाई 882 फीट थी।
18 नॉट से ज्यादा तेज थी रफ्तार
डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि 17 अप्रैल को न्यूयॉर्क पहुंचने के लिए टाइटेनिक औसतन 18 नॉट से ज्यादा तेज रफ्तार से चल रहा था। धीमी गति से आपदा को बचाया जा सकता था। टाइटेनिक के कप्तान एडवर्ड को तेज रफ्तार से जहाज चलाने के लिए जाना जाता था। लोग उनके साथ यात्रा करना पसंद करते थे। वह अपने यात्रियों को जितनी जल्दी हो सके गंतव्य तक पहुंचाने के प्रयास में रहते थे। टाइटेनिक में सवार यात्री भी न्यूयॉर्क जल्दी पहुंचाना चाहते थे। उनको मालूम था कि कप्तान स्मिथ उन्हें सही समय पर वहां पहुंचा देंगे।