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डील तोड़ने के मामले में तो उस्ताद हो गए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, आप भी देखें

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपने दो वर्षों से भी कम कार्यकाल में पांच बड़ी संधियों को तोड़कर देश और दुनिया को बड़ा झटका दिया है। ऐसे में उनकी पहचान भी बदल सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 06:46 AM (IST)
डील तोड़ने के मामले में तो उस्ताद हो गए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, आप भी देखें
डील तोड़ने के मामले में तो उस्ताद हो गए हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, आप भी देखें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अमेरिका ने ईरान के बाद अब रूस से भी तीन दशक पहले किए हुए परमाणु हथियार करार को तोड़ दिया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच 1987 में हुआ था। उस वक्‍त इस समझौते पर तत्‍कालीन सोवियत रूस के राष्‍ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव और अमेरिकी राष्‍ट्रपति रोनाल्‍ड रीगन ने हस्‍ताक्षर किए थे। इस समझौते के पीछे सबसे बड़ी वजह शीत युद्ध के दौरान आई तनातनी को खत्‍म करना था। लेकिन तीन दशक के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इसको तोड़ दिया है। इससे पीछे हटने के पीछे उन्‍होंने जो तर्क दिया है उसमें कहा गया है कि रूस समझौते के खिलाफ प्रतिबंधित मिसाइलों के निर्माण और परिक्षण में लगा है। वहीं दूसरी तरफ रूस ने इन बयानों का खंडन किया है। कुल मिलाकर ट्रंप ने अपने दो वर्षों से भी कम कार्यकाल में पांच बड़ी संधियों को तोड़कर दुनिया को बड़ा झटका दिया है।

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खासा महत्‍व रखती हैं संधियां
अमेरिका द्वारा तोड़ी गई तीनों संधियां पूरी दुनिया के लिए खासा महत्‍व रखती हैं। इतना ही नहीं इन तमाम समझौतों के लिए ट्रंप ने पूर्व की सरकारों और राष्‍ट्रपतियों को सीधेतौर पर दोषी ठहराया है। लेकिन इतने कम कार्यकाल के दौरान लगातार समझौतों को तोड़ना और उनसे पीछे हटना कहीं न कहीं ट्रंप की छवि को भी बदल रहा है। इस तरह से वह डील ब्रेक मैन के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। रूस, ईरान के बाद अब उनके निशाने पर चीन की वन चाइना पॉलिसी भी हो सकती है। इसको लेकर वह पहले भी कई बार कह चुके हैं।

क्‍या थी संधि
आगे बढ़ने से पहले आपको ट्रंप द्वारा तोड़ी गई ताजा संधि के बारे में जानकारी दे देते हैं। 1987 में हुई यह संधि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इस समझौते के तहत दोनों देश सतह से दागी जाने वाली 500 से 5500 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलों का निर्माण या परीक्षण नहीं कर सकते, लेकिन कुछ वर्ष पहले रूस ने नोवाटर मिसाइल लांच की थी। अमेरिका के मुताबिक यह प्रतिबंधित रेंज की मिसाइल थी। बहरहाल इस बयान का रूस ने खंडन किया है। रूस ने इस संधि से हटने को अमेरिका के लिए घातक कदम भी बताया है।

अब एक नजर उन संधियों पर भी डाल लेते हैं जिन्‍हें तोड़कर अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने पूरी दुनिया को चौकाने का काम किया है।

ईरान-अमेरिका परमाणु संधि
इसी वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने मई 2018 में तीन वर्ष पुरानी ईरान से हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था। उनकी नजर में यह संधि ओबामा सरकार द्वारा किया गया सबसे घटिया करार था। यह संधि वर्ष 2015 में ईरान, अमेरिका समेत अन्‍य चार देशों के बीच हुई थी। इसका मकसद ईरान को परमाणु कार्यक्रम जारी रखने से रोकना था। इस संधि के तहत ईरान ने अपने करीब नौ टन अल्प संवर्धित यूरेनियम भंडार को कम करके 300 किलोग्राम तक करने की शर्त स्वीकार की थी। बदले में पश्चिमी देश ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे। मई में जब ट्रंप ने इस संधि से अलग हटने की घोषणा की थी तब यूरोप समेत कई दूसरे देशों ने भी इसको लेकर ट्रंप की आलोचना की थी। इतना ही नहीं फ्रांस और जर्मनी की तरफ से ट्रंप को ये फैसला न करने की अपील तक की गई थी। हालांकि इस संधि को तोड़ने का सबसे बड़ा नुकसान अमेरिका को ही झेलना पड़ा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि ट्रंप के फैसले के बाद जहां अमेरिका अलग-थलग पड़ गया था वहीं यूरोपीय देश ईरान के समर्थन में खड़े हो गए थे। उनका साफ कहना था कि अमेरिका के बाहर होने पर भी यह संधि जारी रहेगी।

ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप
2016 में बराक ओबामा ने ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) पर दस्तखत किए थे। टीपीपी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थित 11 देशों के बीच हुआ एक व्यापार समझौता है। इसका मकसद इन देशों के बीच आयात-निर्यात पर लगने वाले शुल्क में कमी लाना था। लेकिन ट्रंप ने राष्‍ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर इससे बाहर निकलने की घोषणा कर दी थी। इस समझौते में अमेरिका के अलावा आस्‍ट्रेलिया, ब्रूनी, कनाडा, चिली, जापान, मेक्सिको, मलेशिया, न्‍यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर, वियतनाम शामिल थे।

पेरिस जलवायु समझौता
जून 2017 में ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने की घोषणा कर फिर पूरी दुनिया को हैरत में डालने का काम किया था। आपको बता दें कि वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में दुनिया के लगभग 195 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता दुनिया भर के तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए किया गया था। ट्रंप को इस फैसले के चलते दुनिया की काफी आलोचना सहनी पड़ी थी। उनका कहना था कि इस समझौते का अमेरिका को सीधेतौर पर नुकसान झेलना पड़ रहा है और ऐसा वह अकेला नहीं करेगा। उनका यह भी कहना था कि अमेरिका के धन पर चीन और भारत विकास करे यह उन्‍हें मंजूर नहीं है। इसके लिए भी उन्‍होंने पूर्व की सरकार को दोषी ठहराया था।

बदला ओबामा का फैसला
अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने न केवल अंतरराष्‍ट्रीय संधियों को तोड़ा बल्कि पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के भी कई फैसलों को बदल दिया। ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद पर्यावरण से जुड़े कई नियमों में उलटफेर किया। इसके तहत उन्‍होंने वाहनों के लिए बनाए गए उन उत्‍सर्जन मानकों को रद कर दिया जो पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने लागू किए थे।

खत्‍म किया ओबामाकेयर
ट्रंप ने बराक ओबामा द्वारा लागू किए गए द पेशंट प्रोटेक्शन एंड एफोर्डेबल केयर एक्ट' (पीपीएसीए) को भी सत्ता में आने के बाद रद कर दिया था। ओबामा इसे आम अमेरिकियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मकसद से लाए थे। इस हेल्थकेयर प्लान के तौर पर शुरू किया गया था, जो ओबामाकेयर नाम के मशहूर हुआ। वर्ष 2010 में इस पर कानून बना। इसका मकसद था स्वास्थ्य मामलों पर खर्च की जानेवाली रकम को कम करना। ट्रंप इसको रद कर नया हेल्‍थ केयल बिल लेकर आए।

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