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डोनाल्‍ड ट्रंप पर जज ने लगाया 20 लाख डॉलर का जुर्माना, चैरिटी के धन के दुरुपयोग का आरोप

अमेरिका के एक जज ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पर 20 लाख डॉलर का भारी जुर्माना लगाया। यह जुर्माना अपने एक धर्मार्थ संगठन के धन का दुरुपयोग के मामले में लगाया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 02:35 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 03:07 PM (IST)
डोनाल्‍ड ट्रंप पर जज ने लगाया 20 लाख डॉलर का जुर्माना, चैरिटी के धन के दुरुपयोग का आरोप
डोनाल्‍ड ट्रंप पर जज ने लगाया 20 लाख डॉलर का जुर्माना, चैरिटी के धन के दुरुपयोग का आरोप

न्यूयॉर्क, एपी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक ओर उन पर महाभियोग जांच में सुनवाई की तलवार लटकी हुई है वहीं दूसरी ओर एक नए मामले में उन पर भारी जुर्माना लगाया गया है। अमेरिका के एक न्यायाधीश ने ट्रंप पर 20 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया। अमेरिकी राष्‍ट्रपति पर यह जुर्माना अपने एक धर्मार्थ संगठन के धन का दुरुपयोग के मामले में लगाया गया है। आरोप है कि ट्रंप ने खुद के राजनीतिक एवं कारोबारी लाभ के लिए इस धन का दुरुपयोग किया है।

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न्यूयॉर्क में न्यायाधीश सेलियन स्कारपुला ने ट्रंप को यह रकम कई धर्मार्थ संगठनों को देने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि यह मुकदमा न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल के कार्यालय द्वारा दर्ज किया गया था। इसमें ट्रंप फाउंडेशन की संपत्तियों के दुरुपयोग का आरोप है। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने 2016 में आयोवा कॉकस की दावेदारी के लिए अनुदान जुटाने की खातिर चुनाव प्रचार में शामिल उनके कर्मियों को संस्था के साथ काम करने के लिए अनुचित तरीके से इजाजद दी थी। फैसले में जज ने कहा कि चंदा जुटाने का यह कार्यक्रम कि ट्रंप के राजनीतिक अभियान को आगे बढ़ाने के मकसद से आयोजित किया गया था। 

वहीं बीते दिनों आई समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच में अगले हफ्ते से खुली सुनवाई शुरू होगी। संसद की खुफिया समिति के अध्यक्ष एडम शिफ ने बताया कि यूक्रेन में अमेरिका के राजदूत रहे विलियम टेलर, उप सहायक विदेश मंत्री जॉर्ज केंट और यूक्रेन में अमेरिका की पूर्व राजदूत मैरी योवानवोचि के बयान 13 और 15 नवंबर को दर्ज किए जाएंगे। टेलर ने आरोप लगाया था कि ट्रंप ने राजनीतिक फायदे के लिए यूक्रेन पर अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए दबाव बनाया था। बता दें कि खुली अदालत में सुनवाई के दौरान संसदीय समिति के सामने अधिकारियों की गवाही का टेलीविजन चैनल पर सीधा प्रसारण होता है।


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