Move to Jagran APP

पहले से काफी बेहतर रही ट्रंप-बिडेन के बीच की आखिरी डिबेट, दोनों नेताओं के थे तेवर बदले

ट्रंप और बिडेन के बीच चली चौथी और अंतिम डिबेट में 90 मिनट के अंदर कई मुद्दों पर बहस हुई। दोनों ने ही अपने विचार बखूबी रखे। इस बार की डिबेट का अंदाज काफी जुदा था। ये काफी अच्‍छे माहौल में हुई।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 02:31 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 02:31 PM (IST)
पहले से काफी बेहतर रही ट्रंप-बिडेन के बीच की आखिरी डिबेट, दोनों नेताओं के थे तेवर बदले
अंतिम प्रेसिडेंशियल डिबेट में दोनों नेताओं के बीच काफी अच्‍छी बहस हुई

वाशिंगटन (रॉयटर्स)। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्‍ड ट्रंप और जो बिडेन के बीच अंतिम प्रेसिडेंशियल डिबेट पहले के मुकाबले काफी बेहतर रही। दोनों ने ही कुछ खास मुद्दों पर अपनी राय रखी और इस बार दोनों के बीच पहले की तरह तीखी बहस और नोंकझोंक भी नहीं दिखाई दी। हालांकि पहली दो बैठकों के मद्देनजर इस बार की बहस में नियमों को काफी सख्‍त किया गया था। इसके तहत रोकटोक करने वाले प्रत्‍याशी की आवाज को म्‍यूट किया जा सकता था और उसका बोलने का समय भी काटा जा सकता था। लेकिन इस बार इसकी जरूरत नहीं पड़ी। दोनों ने ही एक दूसरे को ध्‍यान से सुना और सधी हुई प्रतिक्रिया भी दी। ट्रंप और बिडेन के बीच की अंतिम बैठक में दो मुद्दों पर सबसे अधिक जोर दिखाई दिया। इसमें पहला था क्‍लाइमेट चेंज और इसमें अमेरिका की भूमिका तो दूसरा था नस्‍लवाद। बीते दो दशकों में ये पहला मौका था कि जब प्रेसिडेंशियल डिबेट में इस मुद्दे पर विस्‍तृत चर्चा की गई। इसके अलावा कोविड-19 में चीन की भूमिका और इसकी रोकथाम में अमेरिका द्वारा लिए गए फैसले भी डिबेट का हिस्‍सा रहे। अंतिम डिबेट खत्‍म होने के बाद अब 3 नवंबर को मतदान होना है। 

prime article banner

टेनेसी की नेश्विले में हुई ये अंतिम डिबेट करीब 90 मिनट तक चली। नेश्विले की बेलमॉन्ट यूनिवर्सिटी के हॉल में केवल 200 लोगों को ही बिठाया गया था। दोनों के बीच हुई इस आखिरी डिबेट को एनबीसी की एंकर क्रिस्टीन वेल्कर ने मॉडरेट किया। ट्रंप ने उनकी बीच में तारीफ भी की और कहा कि वो इस डिबेट को बेहतर तरीके से करवा रही हैं। राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप का रुख इस पूरी डिबेट के दौरान काफी अच्‍छा रहा। इस बार श्रोताओं ने कोविड-19 के तहत बनाए गए नियमों का कड़ाई से पालन किया। इस बैठक में बिडेन जहां मुंह पर मास्‍क लगाए नजर आए वहीं ट्रंप ने ऐसा नहीं किया था। इस बार की डिबेट की शुरुआत में दोनों ने एक दूसरे को देखा मुस्‍कुराए और एक दूसरे का अभिवादन भी किया। वहीं यदि पूर्व की दो डिबेट की बात करें तो इनमें ट्रंप ने बिडेन से हाथ तक मिलाना गवारा नहीं समझा था।

बहस की कुछ खास बातें जानें किसने क्‍या कहा

बिडेन : कोविड-19 की वजह से पैदा हुई स्थिति को संभालने में ट्रंप प्रशासन नाकाम रहा है। इसकी वजह से हुई 2,20,000 अमेरिकी लोगों की मौत के बाद ट्रंप को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। लोग कोरोना के साथ जीना सीख रहे हैं, मरना सीख रहे हैं।

ट्रंप: कोविड-19 को खत्‍म करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। हालांकि अमेरिका में मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन पहले के मुकाबले अब ज्‍यादा लोग ठीक हो रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि वो भी इससे संक्रमित हुए थे लेकिन जल्‍द ही इससे ठीक भी हो गए। अमेरिकी प्रशासन वैक्सीन के लिए तैयार है। इसका रोडमैप भी तैयार करने को कह दिया गया है। वैक्‍सीन आने के कुछ ही सप्‍ताह में सभी को टीका लगवा दिया जाएगा। कई कंपनियों इस दिशा में काम कर रही हैं। मंजूरी के बाद वैक्‍सीन के वितरण की जिम्‍मेदारी सेना की होगी। कोविड-19 के डर से हम इस देश को बंद नहीं रख सकते। ये दुनिया की एक विशाल अर्थव्यवस्था है। देश को बंद करने, रोजगार छिन जाने की वजह से लोग लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। इससे बेकार कुछ और नहीं हो सकता है। बिडेन चीन की तरफ झुके हुए हैं क्‍योंकि वो वहां से पैसा कमाते हैं, जबकि मैं नहीं कमाता हूं। उन्‍होंने बिडेन यूक्रेन से भी पैसे नहीं कमाते हैं लेकिन बिडेन कमाते हैं।

बिडेन: ट्रंप ने हर नस्‍लवादी आग को भड़काने का काम किया है।

ट्रंप: अमेरिकी राष्‍ट्रपति के इतिहास में वो सबसे कम नस्लवादी रहे हैं। जो मैंने कर दिखाया वो अब से पहले कभी किसी अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने करके नहीं दिखाया।

ट्रंप: हमारे कार्यकाल में देश की जनता को स्वच्छ हवा और साफ पानी मिला। कोविड-19 के बाद वो अमेरिकी लोगों की नौकरियां बचाने के काम में जुटे हुए हैं।

बिडेन: वर्तमान में बडे़ पैमाने पर पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों में निवेश की जरूरत है। कोविड-19 संकट और सरकार की गलत नीतियों की बदौलत हमारे स्वास्थ्य और हमारी नौकरियां दांव पर लगी हैं।

ट्रंप: जलवायु परिवर्तन को लेकर लड़ाई में भारत, रूस और चीन का रिकॉर्ड खराब रहा है बल्कि अमेरिका हमेशा एयर क्‍वालिटी का ध्यान रखता है। भारत, रूस और चीन में सांस लेना काफी मुश्किल है। हमारी सरकार में बीते 35 वर्षों की तुलना में उत्सर्जन की स्थिति सबसे बेहतर है। हम उद्योग के साथ अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। पेरिस समझौते से हमने खुद को इसलिए अलग किया हमारे साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा था और वहां पर हमें अरबों डालर खर्च करने थे। पेरिस समझौते से भारत जैसे देशों को फायदा हो रहा है। वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण बढ़ाने के लिए ये देश सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। वहीं दूसरी तरफ ओजोन और पर्यावरण मामले में अमेरिका की स्थिति काफी बेहतर है।

बिडेन: सत्ता में आने पर वह एक बार फिर ऐतिहासिक पेरिस समझौते का हिस्सा बनेंगे और प्रदूषण के लिए चीन की जवाबदेही तय करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.