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बाइडन को कांग्रेस पर नियंत्रण के लिए उच्च सदन में भी कायम करना होगा बहुमत अन्‍यथा पेश आएंगी ये मुश्किलें

बाइडन का पलड़ा भारी लग रहा है लेकिन कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में बहुमत हासिल करने के लिए उनकी पार्टी को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में यदि बाइडन राष्ट्रपति बन भी जाते हैं तो सीनेट में बहुमत के बिना काम करने में मुश्किलें पेश आएंगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 06:03 AM (IST)
बाइडन को कांग्रेस पर नियंत्रण के लिए उच्च सदन में भी कायम करना होगा बहुमत अन्‍यथा पेश आएंगी ये मुश्किलें
कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में बहुमत हासिल करने के लिए बिडेन को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।

न्यूयॉर्क [द न्यूयॉर्क टाइम्स]। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन का पलड़ा भारी लग रहा है। लेकिन अमेरिकी संसद कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में बहुमत हासिल करने के लिए उनकी पार्टी को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। अभी तक जो नतीजे सामने आए हैं, उससे डेमोक्रेटिक पार्टी को सीनेट में बहुमत मिलने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। ऐसे में अगर डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडन राष्ट्रपति बन भी जाते हैं तो सीनेट में बहुमत के बिना उनके लिए काम करना आसान नहीं होगा।

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बिडेन के लिए होगी मुश्किलें

अमेरिकी संसदीय प्रणाली को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि अगर राष्ट्रपति की पार्टी को सीनेट में बहुमत हासिल नहीं है तो वह चाहकर भी अपने मन मुताबिक काम नहीं कर सकता है। जजों की नियुक्ति से लेकर अपनी सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति को सीनेट पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में यदि जो बाइडन राष्ट्रपति बन भी जाते हैं तो सीनेट में बहुमत के बिना उनके लिए काम करना आसान नहीं होगा।

सीनेट के लिए ऐसे होता है चुनाव

सीनेट के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होता है। अमेरिका के 50 राज्यों से सीनेट के लिए दो सदस्य चुनकर आते हैं। भारत में राज्यसभा की तरह ही सीनेट के लिए हर दो साल में एक तिहाई सदस्यों के लिए चुनाव होता है। इस समय रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच सीनेट की सीटों पर कांटे की लड़ाई चल रही है।

डेमोक्रेटिक की कोशिश नहीं ला रही रंग

डेमोक्रेटिक पार्टी को उम्मीद थी कि ट्रंप के प्रति लोगों की नाराजगी का लाभ उसे सीनेट चुनाव में मिलेगा लेकिन ऐसा नजर नहीं आ रहा। दो साल पहले जिन सीटों पर डेमोक्रेट को जीत मिली थी, वहां तो उनकी स्थिति बेहतर है, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के सीनेट के मौजूदा सदस्यों को परास्त करने की उसकी कोशिश सफल होती नजर नहीं आ रही। उपनगरीय क्षेत्रों, ग्रामीण इलाकों और ओक्लाहोमा सिटी और स्टेटन आइलैंड में मतों की गिनती के साथ ही रिपब्लिकन पार्टी की स्थिति मजबूत नजर आने लगी है।

झटकनी होगी इतनी सीटें

सीनेट में बढ़त बनाने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को रिपब्लिकन से कम से कम तीन से चार सीटें झटकनी होगी। फिलहाल अभी एक भी सीट वो नहीं झटक पाई है। रिपब्लिकन पार्टी को लोवा, अल्बामा और मोंटाना में जीत मिल चुकी है। नॉर्थ कैरोलीना और माने में भी उसका प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है, जहां के नतीजे अभी आने बाकी हैं। जॉर्जिया में भी कांटे की टक्कर चल रही है। इन तीनों सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई है।

जोरदार लड़ाई लड़ रहे रिपब्लिकन

कोलोराडो और अरिजोना में डेमोक्रेट को जीत मिल चुकी है। इससे पहले टेक्सास और साउथ कैरोलीना में डेमोक्रेट से रिपब्लिकन को कड़ी टक्कर तो मिली, आखिर में उसके प्रत्याशी ही विजयी हुए। यह जीत रिपब्लिकन पार्टी के लिए बहुत अहम है। केंचुकी में भी रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककॉनेल सातवीं पर विजयी होने में सफल रहे हैं। साउथ कैरोलीना से तो डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी नैंसी मैस को अपनी सीट गंवानी पड़ी है।


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