Coronavirus Updates: कोरोना महामारी में जान जाने के डर की वजह से कर रहे शारीरिक दूरी का पालन
मनोवैज्ञानिक शोध करने वाली टीम की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंको गुचैट ने बताया किसी ने भी कोरोना वायरस देखा नहीं है लेकिन मानव मष्तिष्क उसकी काल्पनिक तस्वीर बनाने लगता है। यही प्रक्रिया डर और दहशत पैदा करने लगती है।
वाशिंगटन, एएनआइ। कोरोना महामारी के दौरान एक शोध में पता चला है कि भय और दहशत से ही निंरतर शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए दिमाग प्रेरित रहता है। संक्रमण के घातक परिणाम और होने वाले नुकसान की आशंका नकारात्मक संदेश प्रसारित करती है, यही संदेश दिमाग के जरिये चेतावनी देते रहते हैं। यह शोध सर्विस इंडस्ट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध का पूरा कार्य अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में हुआ।
भविष्य की आशंका करती है सावधानी के लिए प्रेरित
मनोवैज्ञानिक शोध करने वाली टीम की असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंको गुचैट ने बताया, किसी ने भी कोरोना वायरस देखा नहीं है, लेकिन मानव मष्तिष्क उसकी काल्पनिक तस्वीर बनाने लगता है। यही प्रक्रिया डर और दहशत पैदा करने लगती है। भविष्य की आशंका सावधानी के लिए प्रेरित करती है। नकारात्मक या सकारात्मक दोनों ही तरह के संदेश सुरक्षा के पैमाने अपनाने के लिए प्रभावी होते हैं, दोनों ही संदेशों से नुकसान को लेकर भय और दहशत का भाव पैदा होता है। सकारात्मक संदेश ये जोर देते हैं कि यदि आप शारीरिक दूरी बनाएंगे तो स्वस्थ रहेंगे और बीमारी आपके पास नहीं आएगी।
जान का खतरा होने पर किया जाता है संदेशों का प्रभावी पालन
नकारात्मक संदेश ये प्रभाव पैदा करते हैं कि आप दूरी बनाकर नहीं रहेंगे तो बीमार हो जाएंगे और ये आपके जीवन के लिए घातक हो सकता है। शोध में पाया गया कि निरोधात्मक संदेश प्रभावी रूप से असर डालते हैं। इसकी भाषा किसी भी व्यक्ति को गंभीर नुकसान से आगाह करती है। यही कारण है कि जिन संदेशों से उनकी जान को खतरा रहता है. उसमें भय ज्यादा होने के कारण ही प्रभावी पालन होता है। अमेरिका में यूनाइटेड फूड एंड कॉमर्शियल वर्कर्स यूनियन ने खाने का सामान और किराना स्टोर में सर्वे किया तो पाया कि जिन ग्राहकों में बीमारी का भय नहीं है, उनमें से 85 फीसद लोग शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे थे।