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कोरोना की रोकथाम और इलाज के लिए अब एंटीबॉडी दवा की तलाश में दुनियाभर की कंपनियां

कोविड वैक्‍सीन बना लेने के रूसी दावे के बीच कंपनियां उस दवा की तलाश में जुट गई हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली से छेड़छाड़ के बिना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बना सकें।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:03 AM (IST)
कोरोना की रोकथाम और इलाज के लिए अब एंटीबॉडी दवा की तलाश में दुनियाभर की कंपनियां
कोरोना की रोकथाम और इलाज के लिए अब एंटीबॉडी दवा की तलाश में दुनियाभर की कंपनियां

वाशिंगटन, एपी। रूस के कोरोना वायरस को मारने वाला टीका बना लेने के दावे के बीच दुनियाभर की कंपनियां ऐसी दवा की तलाश करने में जुट गई हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली से छेड़छाड़ किए बिना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बना सकें। एंटीबॉडीज एक तरह का प्रोटीन होता है, जो शरीर में संक्रमण होने के बाद पैदा होता है। एंटीबॉडीज संक्रमण पर हमला करते हैं और उन्हें खत्म करने में मदद करते हैं। जब वैक्सीन दी जाती है तो शरीर को लगता है कि यह कोई संक्रमण है और फिर एंटीबॉडीज बनने लगते हैं।

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कैसे काम करती है वैक्‍सीन

दरअसल, वैक्सीन के जरिए शरीर को एंटीबॉडीज बनाने की याद दिलाई जाती है ताकि वास्तविक संक्रमण पैदा होने पर शरीर में एंटीबॉडीज बन सकें। टीकाकरण या संक्रमण के जरिये शरीर में प्रभावी एंटीबॉडीज बनने में एक से दो महीने तक का समय लग जाता है लेकिन यदि कोई एंटीबॉडीज दवा दी जाती है तो यह समय कम हो सकता है। इसलिए कंपनियां उन दवा की तलाश कर रही हैं जो शरीर में जाते ही एंटीबॉडीज बनाने लगें।

रूस ने सुरक्षा चिंताओं को आधारहीन बताया

इस बीच, रूस ने उसकी कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर जताई जा रही चिंताओं को आधारहीन बताया है। उसका कहना है कि दो हफ्ते के भीतर वैक्सीन तैयार हो जाएगी और यह सबसे पहले कुछ स्वास्थ्यकर्मियों लगाई जाएगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया था। दरअसल, रूस ने इस वैक्सीन का दो महीने तक ट्रायल किया है। अभी इसके आखिरी चरण का क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है। विशेषज्ञ दो महीने से भी कम समय में मानव परीक्षण कर वैक्सीन को मंजूरी देने को लेकर चिंता जता रहे हैं।

सबसे पहले डॉक्टरों को वैक्‍सीन देगा रूस

रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बुधवार को कहा कि हमारे विदेशी सहयोगी प्रतिस्पर्धा में रूसी वैक्सीन के आगे निकल जाने से चिंतित लग रहे हैं। इसलिए वो इसको लेकर आधारहीन आशंकाएं जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो हफ्ते के भीतर वैक्सीन तैयार हो जाएगी और इसकी खुराक सबसे पहले डॉक्टरों समेत स्वास्थ्यकर्मियों को दी जाएगी। वैक्सीन तैयार करने वाली गमालेया इंस्टीट्यूट के निदेशक अलेक्जेंडर गिंस्टबर्ग ने कहा कि रूसी विशेषज्ञों द्वारा क्लीनिकल ट्रायल का आकलन करने के बाद उसे प्रकाशित किया जाएगा।

इजरायल भी रूसी वैक्सीन की जांच करेगा

इजरायल के स्वास्थ्य मंत्री यूली एडल्स्टीन ने यरूशलम में संवाददाताओं से कहा कि रूसी वैक्सीन की जांच की जाएगी और उसे प्रभावी पाए जाने के बाद ही उसे खरीदने के लिए कोई बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर विभिन्न देशों से आ रही खबरों का गहन अध्ययन किया जा रहा है। इस मसले पर रूस के साथ भी बातचीत की गई है। इजरायल अपनी तरफ से भी कोरोना वैक्सीन विकसित करने की कोशिशों में जुटा है।


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