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जलवायु परिवर्तन: भारत ने विकासशील देशों की 100 अरब डालर की प्रतिबद्धता याद दिलाई, कहा- यह NFL की कमाई से कम

भारत ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में कड़ा रुख अपनाया। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव पेट्रीसिया एस्पिनोसा ने भी व्यक्तिगत रूप से इस साल की शुरुआत में जून में विकसित देशों से अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 08:57 AM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 09:22 AM (IST)
जलवायु परिवर्तन: भारत ने विकासशील देशों की 100 अरब डालर की प्रतिबद्धता याद दिलाई, कहा- यह NFL की कमाई से कम
जलवायु परिवर्तन: भारत ने विकासशील देशों की 100 अरब डालर की प्रतिबद्धता याद दिलाई

न्यूयार्क, एजेंसी। भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के संबंध में कड़ा रुख अपनाया और कहा कि विकसित देशों द्वारा जलवायु एक्शन के लिए विकासशील देशों की 100 अरब डालर प्रदान करने की प्रतिबद्धता में अब भी बड़ा अंतर मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA76) के चल रहे 76 वें सत्र में जलवायु एक्शन पर बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने 100 अरब डालर की राशि के संबंध में कहा, 'यह राशि NFL (नेशनल फुटबाल लीग, पेशेवर अमेरिकी फुटबाल टूर्नामेंट) के मीडिया कवरेज पर खर्च किए जाते रहे रुपयों से भी कम है।' भारत ने कहा कि विकासशील देशों के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है। 

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लान्ग टाइम फाइनेंस पेरिस समझौते (पेरिस जलवायु समझौते) का एक प्रमुख स्तंभ रहा है, जिसने माना कि विकासशील देशों को प्रयासों को पूरा करने में मदद हेतु विकसित देशों के लिए जलवायु संकट से निपटने के वैश्विक प्रयासों में योगदान करना महत्वपूर्ण है। हालांकि, वित्तीय सहायता की यह प्रतिबद्धता- विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए जलवायु वित्त में सालाना 100 अरब डालर जुटाने के लिए 2010 में की गई थी, फिर भी इसमें अभी बहुत काम होना बाकी है।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 'संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यकारी सचिव पेट्रीसिया एस्पिनोसा ने भी व्यक्तिगत रूप से इस साल की शुरुआत में जून में विकसित देशों से अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया।'

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, तिरुमूर्ति ने कहा कि बातचीत सभी सदस्य-देशों द्वारा की जानी चाहिए, न कि केवल कुछ राष्ट्र जो सभी के लिए निर्णय लेते हैं। इस साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता में बोल रही पेट्रीसिया एस्पिनोसा के अनुसार, राष्ट्र अभी भी इस वादे के बारे में बात कर रहे हैं भले ही जलवायु पर एक्शन की आवश्यकता हर गुजरते दिन के साथ और अधिक खराब होती जा रही है।


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