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अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी से चीन को होगा लाभ, क्षेत्र में बढ़ेगा ड्रैगन का प्रभाव

अफगानिस्तान में चीन को अपना दखल बढ़ाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत पड़ेगी। अमेरिकी सेनाओं के जाने से चीन खाली स्थान को भरने की कोशिश करेगा

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 08:02 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 08:02 PM (IST)
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी से चीन को होगा लाभ, क्षेत्र में बढ़ेगा ड्रैगन का प्रभाव
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी से चीन को होगा लाभ, क्षेत्र में बढ़ेगा ड्रैगन का प्रभाव

वाशिंगटन, एएनआइ। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी का सीधा फायदा चीन को मिलेगा। इससे उसे इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिल जाएगा। यह बात अमेरिकी अखबार यूएस न्यूज ने कही है।

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अफगान में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पाक से खुफिया जानकारियां लेता है

पता चला है कि अफगानिस्तान में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पाकिस्तान से वहां की खुफिया जानकारियां लेता है। अखबार की रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब अमेरिका अफगानिस्तान में जगह खाली करेगा, तो उसे कौन भरेगा ? क्योंकि अफगानिस्तान में सरकारी सुरक्षा बल अभी तालिबान को परास्त करने की स्थिति में नहीं हैं। वहां पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) का खतरा भी बढ़ रहा है।

अफगानिस्तान में सरकार का कमजोर होना और हालात बिगड़ना पाकिस्तान के हित में

अफगानिस्तान में सरकार का कमजोर होना और हालात बिगड़ना पाकिस्तान के हित में है। ऐसे में उसे दखलंदाजी का पूरा मौका मिलेगा। यही स्थिति चीन के हित में जाएगी और वह अमेरिकी सेनाओं के जाने से खाली हुए स्थान को भरने की कोशिश करेगा।

अफगानिस्तान में चीन को अपना दखल बढ़ाने के लिए पाकिस्तान की पड़ेगी जरूरत 

अफगानिस्तान में चीन को अपना दखल बढ़ाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत पड़ेगी। पाकिस्तान के तालिबान से मजबूत रिश्ते हैं, साथ ही पड़ोसी देश होने की वजह से उसका अफगानिस्तान की घरेलू स्थितियों में भी दखल है। सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान के हालात पर विचार-विमर्श के लिए चीन ने जल्द ही पाकिस्तान के एक सीनियर जनरल को बुलाया है। उस जनरल से चीनी प्रशासन के प्रमुख अधिकारी अफगानिस्तान के अंदरूनी हालात और उन पर पाकिस्तान के प्रभाव के बारे में जानेंगे।

अमेरिकी सेनाओं के जाने से अफगानिस्तान में चीन की भूमिका बढ़ना तय

चीन यह भी चाहेगा कि तालिबान का संपर्क किसी भी हालत में शिनजियांग प्रांत के उइगर समुदाय से न जुड़ पाए और न ही उनके विषय में तालिबान कभी कुछ न बोलें। वैसे चीन पूर्व में अफगानिस्तान और तालिबान के बीच होने वाली वार्ता में शामिल रहा है, लेकिन अमेरिकी सेनाओं के जाने से अफगानिस्तान में उसकी भूमिका बढ़ना तय मानी जा रही है।

अफगानिस्तान में 20 साल तक तालिबान से लड़ने के बाद अमेरिकी सेनाएं हटना शुरू हो चुकी

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में करीब 20 साल तक तालिबान से लड़ने के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने वहां से अपनी सेनाएं हटाने का फैसला किया है। सेनाओं की यह वापसी चरणबद्ध ढंग से शुरू हो चुकी है।


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