दक्षिण एशिया में भारत की चुनौती से घबराया चीन, अमेरिका से मजबूत होते संबंधों से बौखलहट
एक अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि चीन का तात्कालिक लक्ष्य दक्षिण एशिया में भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना है और वह इस चुनौती से बौखलाहट में है...
वाशिंगटन, पीटीआइ। भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ के बीच एक प्रभावशाली अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि चीन का तात्कालिक लक्ष्य दक्षिण एशिया में भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसके तेजी से मजबूत होते संबंधों को बाधित करना है। हडसन इंस्टीट्यूट की कोरोना वायरस काल में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता का वैश्विक सर्वेक्षण (A Global Survey of US-China Competition in the Coronavirus Era) शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की पाकिस्तान के साथ मजबूत साझीदारी और श्रीलंका के साथ मजबूत संबंध क्षेत्र में प्रभुत्व की चीन की योजनाओं के लिए अहम है।
भारत की चुनौती को रोकने का इरादा
इस हफ्ते जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि खाड़ी एवं पश्चिमी हिंद महासागर में अमेरिका की श्रेष्ठता को चुनौती देने के चीन के बड़े रणनीतिक लक्ष्य के लिए दक्षिण एशिया बहुत अहम है। रिपोर्ट में इस बात का अध्ययन किया गया है कि चीन दुनिया में राजनीतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक लाभ के लिए वैश्विक महामारी का इस्तेमाल करने की किस प्रकार कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में चीन का तात्कालिक लक्ष्य विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसकी तेजी से मजबूत होती साझीदारी को बाधित करना है।
चीन को चुनौती पेश कर रहा भारत
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में चीन के लिए भारत असल चुनौती है। भारत परंपरागत रूप से चीन को अपने से उच्च समझने के बजाय समान समझता है। वह बीजिंग के लक्ष्यों को लेकर सचेत है और अपने क्षेत्र में चीन के घुसने की कोशिशों को संदेह से देखता है। चीन के साथ क्षेत्र को लेकर विवाद के कारण संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। इससे सहयोगात्मक माहौल के बजाय प्रतिद्वंद्वी माहौल पैदा होता है।
भारत की सैन्य क्षमताएं विकसित करना जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इसके लिए भारत को अमेरिका और जापान जैसे सहयोगियों की मदद की आवश्यकता है। यदि अमेरिका चाहता है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के तौर पर भूमिका निभाए और यदि वह चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है, तो भारत की आर्थिक एवं सैन्य क्षमताएं विकसित करना अहम होगा। इस रिपोर्ट का दक्षिण एशिया संबंधी हिस्सा तैयार करने वाले विशेषज्ञों में भारतीय मूल की विद्वान डॉ. अपर्णा पांडे और अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी भी शामिल हैं।