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Chandrayaan-2: नासा के ऑर्बिटर को चांद पर नहीं मिले लैंडर विक्रम के कोई सबूत, अब कही ये बात

Chandrayaan-2 भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 को लेकर नासा ने नई जानकारी देते हुए कहा है कि उसके ऑर्बिटर को चांद पर विक्रम लैंडर के होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:42 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 10:55 AM (IST)
Chandrayaan-2: नासा के ऑर्बिटर को चांद पर नहीं मिले लैंडर विक्रम के कोई सबूत, अब कही ये बात
Chandrayaan-2: नासा के ऑर्बिटर को चांद पर नहीं मिले लैंडर विक्रम के कोई सबूत, अब कही ये बात

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की ओर से भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 को लेकर ताजा जानकारी सामने आई है। नासा ने कहा है कि हाल में चांद की ओर से गुजरे उसके ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की है, उनमें इसरो के लैंडर विक्रम के कोई सबूत नहीं दिखाई दे रहे हैं। नासा का यह ऑर्बिटर चांद के उसी हिस्से से गुजरा था, जहां भारत ने अपने मिशन चंद्रयान-2 की लैंडिंग निर्धारित की थी। बता दें, 7 सितंबर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूटने से पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया।

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नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर(LRO) मिशन के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ एडवर्ड पेट्रो ने पीटीआई को एक विशेष ईमेल इंटरेक्शन में बताया कि लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर 14 अक्टूबर को चंद्रयान-2 की खोज के लिए चांद के उसी हिस्से से गुजराजहां इसरो अपना लैंडर उतारने की कोशिश कर रहा था। इस दौरान वहां की कुछ तस्वीरें ली गई,  लेकिन नई तस्वीरों में हमें लैंडर विक्रम के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

पेट्रो ने कहा कि कैमरा टीम ने चांद के सतह की ली गई तस्वीरों की गहन जांच की और परिवर्तन का पता लगाने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया। लेकिन हमें इन तस्वीरों में लैंडर विक्रम के होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। 

कहां हो सकता है लैंडर विक्रम ?

हालांकि नासा के एक और साइंटिस्ट जॉन केलर, जो कि एलआरओ मिशन के उप परियोजना वैज्ञानिक हैं, उन्होंने लैंडर विक्रम को लेकर संभावनाओं से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ये संभव है कि लैंडर विक्रम किसी चांद के अंधेरे वाले हिस्से में हो या खोज क्षेत्र के बाहर स्थित हो। क्योंकि चांद पर कम अक्षांश के कारण, लगभग 70 डिग्री दक्षिण में जहां यह क्षेत्र स्थित है उस हिस्से में अंधेरा रहेगा।जिस वजह से लैंडर विक्रम को खोज पाना आसान नहीं है।

बता दें, पिछले महीने 17 सितंबर को भी नासा का लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर(एलआरओ) चांद के इसी इलाके से गुजरा था और उसने वहां तस्वीरें भी ली थीं, लेकिन उस फ्लाईओवर के दौरान ली गई तस्वीरों में भी वैज्ञानिक विक्रम का पता नहीं लग पाया था। 7 सितंबर को लैंडर विक्रम ने इसरो से संपर्क खोने पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित दो क्रेटरों सिम्पलियस एन और मंज़िनस सी के बीच सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की थी।


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