Move to Jagran APP

अमेरिकी अध्ययन का दावा, सेलफोन विकिरण से इंसानों पर नहीं होता असर

एक ताजा अमेरिकी अध्ययन में दावा किया गया है कि सेलफोन से उत्सर्जित रेडियो विकिरण से केवल चूहों को कैंसर होता है। इससे इंसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 11:41 AM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 11:41 AM (IST)
अमेरिकी अध्ययन का दावा, सेलफोन विकिरण से इंसानों पर नहीं होता असर
अमेरिकी अध्ययन का दावा, सेलफोन विकिरण से इंसानों पर नहीं होता असर

 मैसाचुसेट्स, प्रेट्र। एक ताजा अमेरिकी अध्ययन में दावा किया गया है कि सेलफोन से उत्सर्जित रेडियो विकिरण से केवल चूहों को कैंसर होता है। इससे इंसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि इस अध्ययन पर अभी कुछ विशेषज्ञों ने असहमति भी जताई है। अध्ययन को लेकर आम राय नहीं बन पाई है। अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि केवल नर चूहे ही सेलफोन से निकलने वाले उच्च स्तर के रेडियो आवृत्ति विकिरण के संपर्क में आते हैं, जिससे कैंसर और दिल का ट्यूमर आदि हो जाते हैं।

loksabha election banner

अमेरिका के नेशनल टोक्सिकोलॉजी प्रोग्राम (एनटीपी) को यह अध्ययन करने में 10 साल लगे। अध्ययन के बाद निष्कर्ष के समर्थन में कुछ प्रमाण भी दिए गए। इसमें नर चूहों के मस्तिष्क का ट्यूमर और एड्रेनल ग्रंथि दिखाई गई। इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ एनजीओ और वैज्ञानिकों ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को कैंसर के खतरे के संदर्भ में लोगों के लिए सेफ्टी गाइडलाइन बदलनी चाहिए। लेकिन कुछ शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि यह अध्ययन मनुष्यों पर नहीं हुआ। इसलिए अभी ऐसा न किया जाए।

इंटरनेशनल कमीनशन ऑन नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन (आइसीएनआइआरपी) एक ऐसा पैनल है जिसके दिशा-निर्देशों का पालन अधिकांश देशों और एजेंसियों जैसे डब्ल्यूएचओ द्वारा किया जाता है। उसने एक पत्र प्रकाशित करते हुए सेफ्टी गाइडलाइन को बदलने से मना किया है। उसका कहना है कि खोज में ठोस तौर पर ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे पुष्टि हो कि विकिरण मानवों पर प्रभाव नहीं डालता। अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने एनटीपी के इस शोध की आलोचना की और कैंसर के खतरे के संदर्भ में लोगों के लिए सुरक्षा नियम बदलने को भी मना किया।

एफडीए ने पुराने सुरक्षा नियमों को ही लागू रखने की मांग की। नेशनल टोक्सिकोलॉजी प्रोग्राम के वरिष्ठ शोधकर्ता जान बूचर ने कहा कि रेडियो विकिरण और नर चूहों के बीच का संबंधवास्तविक है और इसे बाहरी विशेषज्ञों ने भी माना है, वहीं रेडियोलॉजिकल हेल्थ के निदेशक जेफरी शरेन ने कहा कि एनटीपी की इस शोध ने हमें भरोसा दिलाया है। 

अध्ययन में लग गया 10 साल का समय

नेशनल टोक्सिकोलॉजी प्रोग्राम को यह अध्ययन करने के लिए पूरे 10 साल का समय लगा। एनटीपी के इस अध्ययन में तीन करोड़ अमेरिकी डालर (लगभग दो अरब 18 करोड़ भारतीय रुपये) की लागत आई। यह अध्ययन नर चूहों पर किया गया। अध्ययन में सामने आए परिणामों को सबके सामने लाया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.