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कमला हैरिस की पुस्‍तक The Truths We Hold: An American Journey के दिलचस्‍प किस्‍से, तब क्‍या हुआ जब मां ने नहीं मानी नानी की बात ...

उप राष्‍ट्रपति पद के लिए निर्वाचित भारतीय मूल की कमला हैरिस भी अपनी ट्रुथ्स वी होल्ड एन अमेरिकन जर्नी पुस्‍तक के चलते भी सुर्खियों में हैं। दरअसल इस क‍िताब में उन्‍होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं का जिक्र किया है। आइए जानते हैं कि उस पुस्‍तक के मार्मिक पहलू।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 04:02 PM (IST)
कमला हैरिस की पुस्‍तक The Truths We Hold: An American Journey के दिलचस्‍प किस्‍से, तब क्‍या हुआ जब मां ने नहीं मानी नानी की बात ...
अमेरिकी उप राष्‍ट्रपति के लिए निर्वाच‍ित कमला हैरिस की पुस्‍तक 'ट्रुथ्स वी होल्ड: एन अमेरिकन जर्नी' की फाइल फोटो।

वाशिंगटन, ऑनलाइन डेस्‍क।  अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा की पुस्‍तक ए प्रॉमिस्‍ड लैंड (A Promised Land) सुर्खियों में है। इसके चलते ओबामा कुछ दिनों से अपनी किताब को लेकर काफी चर्चा में हैं। राष्‍ट्रपति पद से हटने के बाद ये पहला मौका है जब इस कदर पूरी दुनिया की मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं। उधर, उप राष्‍ट्रपति पद के लिए निर्वाचित भारतीय मूल की कमला हैरिस भी अपनी 'ट्रुथ्स वी होल्ड: एन अमेरिकन जर्नी' (The Truths We Hold: An American Journey) पुस्‍तक के चलते भी सुर्खियों में हैं। दरअसल, इस क‍िताब में उन्‍होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं का जिक्र किया है। इस पुस्‍तक में उन्‍होंने अपने भारतीय कनेक्‍शन का लंबा जिक्र किया है। आइए जानते हैं कि उस पुस्‍तक के मार्मिक पहलू। 

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कमला की जिंदगी पर मां की गहरी छाप

अमेरिका की होने वाली उपराष्‍ट्रपति कमला की जिंदगी में उनकी दिवंगत मां की गहरी छाप है। उन्‍होंने अपनी पुस्‍तक में यह स्‍वीकार किया है कि मां के पूरे व्‍यक्तित्‍व की हम पर गहरी छाप है। मैं उनसे काफी प्रभावित हुं। कमला की मां श्‍यामला गोपालन का जन्‍म चेन्‍नई में हुआ था। मां-बाप की चार संतानों में वह सबसे बड़ी थीं। कमला की मां ने 19 साल की उम्र में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से स्‍नातक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा के लिए बर्कल विश्‍वविद्यालय के लिए आवेदन किया। उन्‍होंने लिखा है कि मां ने एक ऐसे विश्‍वविद्यालय का चयन किया जिसे उन्‍होंने कभी नहीं देखा था। यह एक ऐसे देश में थी, जहां वह कभी नहीं गईं थी। 1958 में न्‍यूट्रीशियन और एंडोक्रनॉलोजी में पीएचडी करने के लिए वह इंडिया से निकल पड़ी। पढ़ाई पूरी होने के बाद वह ब्रेस्‍ट कैंसर के फ‍िल्‍ड में रिसर्चर बन गईं। 

मां ने नहीं मानी नाना और नानी की बात 

कमला अपनी पुस्‍तक में लिखती हैं कि मेरे लिए यह कल्‍पना करना बेहद कठिन है कि नाना और नानी के लिए मेरी मां को भारत से बाहर जाने देने का फैसला कितना मुश्किल भरा रहा होगा। उस वक्‍त कॉमर्शियल उड़ाने शुरू ही हुई थीं। संचार के सीमित माध्‍यम थे। ऐसे में मेरी मां ने जब अमेरिका जाने की इजाजत मांगी तो नाना-नानी ने उनके आग्रह को इन्‍कार नहीं किया। कमला ने लिखा है कि नाना और नानी को यह उम्‍मीद थी कि विदेश में पढ़ाई करके मां वतन लौट जाएगी। इसके बाद मां-बाप की पसंद की शादी करके घर बसाएंगी, लेकिन किस्‍मत को कुछ और ही मंजूर था। उन्‍होंने पु‍स्‍तक में लिखा है कि मां और पिता की मुलाकात बर्कल में हुई थी। दोनों मानवाधिकार आंदोलनों से जुड़े थे। यही दोनों को एक दूसरे से प्‍यार हो गया। कमला लिखती हैं कि मेरी मां ने अपने प्रेमी से शादी करने के बाद अमेरिका में रहने का फैसला लिया। यह प्रेम की पराकाष्‍ठा थी। यह मां का आत्‍मनिर्णय था।   


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