कोरोना से गर्भवती महिलाओं में ब्लड क्लाटिंग का खतरा, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार पूर्व अध्ययनों में कोरोना के चलते स्वस्थ लोगों में ब्लड क्लाटिंग समेत कई समस्याओं का पता चल चुका है।
वॉशिंगटन, पीटीआइ। कोरोना वायरस (कोविड-19) के चलते स्वास्थ्य संबंधी एक और गंभीर खतरे का पता चला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खतरनाक वायरस के चलते गर्भवती महिलाओं में ब्लड क्लाटिंग (रक्त का थक्का) का खतरा बढ़ सकता है। गर्भ निरोधक गोलियों या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में भी यह समस्या खड़ी हो सकती है।
अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार, पूर्व अध्ययनों में कोरोना के चलते स्वस्थ लोगों में ब्लड क्लाटिंग समेत कई समस्याओं का पता चल चुका है। उन्होंने बताया कि अब पता चला है कि फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन के चलते भी गर्भावस्था के दौरान ब्लड क्लाटिंग का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं गर्भ निरोधक गोलियों या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग करने वाली महिलाओं में भी इस समस्या के जोखिम का पता चला है। एंडोक्रिनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना की चपेट में आने पर ब्लड क्लाटिंग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ सकता है।
इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि महिलाओं पर कोरोना वायरस के पड़ने वाले प्रभाव को बेहतर समझने के लिए अभी और शोध की जरूरत है। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेनियल स्प्रेट ने कहा, 'महामारी के दौर में हमें इस बात को समझने के लिए अतिरिक्त शोध की जरूरत है कि क्या किसी संक्रमित महिला को गर्भावस्था के दौरान ब्लड क्लाटिंग रोकने वाली दवाओं का सेवन करना चाहिए या नहीं।' पूर्व के अध्ययनों से यह पहले ही जाहिर हो चुका है कि कोरोना पीडि़तों में ब्लड क्लाटिंग की समस्या खड़ी हो सकती है। इससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। कोरोना वायरस से हार्ट अटैक समेत हृदय संबंधी कई समस्याओं का भी पता चला है।