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जानिए- अमेरिका में हथियार उठाने को क्‍यों मजबूर हो रही हैं अश्‍वेत महिलाएं, बंदूकों की बढ़ गई बिक्री

अमेरिका में पिछले वर्ष दो अश्‍वेत लोगों की सरेआम हत्‍या के बाद वहां पर रहने वाले अश्‍वेतों में काफी डर है। यही वजह है कि यहां पर रहने वाली अफगान महिलाएं तेजी से बंदूक खरीदती दिखाई दे रही हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 11:56 AM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 03:07 PM (IST)
जानिए- अमेरिका में हथियार उठाने को क्‍यों मजबूर हो रही हैं अश्‍वेत महिलाएं, बंदूकों की बढ़ गई बिक्री
अमेरिका में अपनी सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं अश्‍वेत महिलाएं

वाशिंगटन (एपी)। अमेरिका में अश्‍वेत लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता अधिक सताने लगी है। यही वजह है कि अश्‍वेत लोगों में हथियार खरीदने को लेकर एक होड़ सी लग गई है। इसमें भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं आगे हैं। फायरआर्म इंडस्‍ट्री ट्रेड एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में पिछले वर्ष करीब 85 लाख लोगों ने पहली बार बंदूक खरीदी थी। इन हथियारों को बनाने वाले उद्योगों के संगठन का कहना है कि 2020 के छह माह में अश्‍वेतों द्वारा की गई हथियार खरीद में करीब 58-60 फीसद की तेजी आई है। ये आंकड़ा काफी चौकाने वाला है।

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आपको बता दें कि पिछले वर्ष ही अमेरिका में ब्‍लैक लीव्‍स मैटर (Black Lives Matter) काफी सुनने में आया था। इसकी वजह दो अश्‍वेत नागरिकों की पुलिस द्वारा हत्‍या थी। इसके बाद काफी संख्‍या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। ये विरोध प्रदर्शन लगभग पूरे अमेरिका में ही दिखाई दिए थे। इसके बाद ही यहां के अश्‍वेत नागरिकों में अपनी सुरक्षा को लेकर एक भय भी पैदा हुआ था।

हथियारों की खरीद में अश्‍वेत लोगों के आगे रहने के सवाल पर ब्लूमबर्ग स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर और जॉन्स हापकिंस सेंटर फार गन वायलेंस प्रिवेंशन ऐंड पॉलिसी के निदेशक डेनियल वेबस्टर कहते हैं कि ऐसा तब होता है जब लोगों के ऊपर से पुलिस का भरोसा कम होने लगता है। ऐसी सूरत में लोग अपनी सुरक्षा के लिए हथियारों की अधिक खरीद करते हैं। उनका ये भी कहना है कि अश्‍वेतों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले संगठन भी इसके लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

हालांकि, अमेरिका में श्‍वेत लोगों की तुलना में अब भी अश्‍वेत लोगों के पास कम हथियार मौजूद हैं। कनेक्टिकट स्थितएनएसएसएफ देश में करीब 56 फीसद श्वेत लोगों के पास हथियार हैं जबकि अश्‍वेतों के पास केवल 9.3 फीसद ही हथियार हैं। वहीं यदि महिलाओं की बात करें तो करीब 16 फीसद बंदूक श्‍वेत महिलाओं के पास हैं जबकि 5.4 फीसद ही अश्‍वेत महिलाओं के पास हैं।

एनएसएसएफ की पब्लिक अफेयर्स डायरेक्टर मार्क ओलिविया मानती हैं कि पिछले वर्ष अश्वेतों द्वारा हथियार खरीदने के चलन में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। यही वजह है कि अब वो महिलाएं भी शूटिंग रेंज में बंदूक चलाने की ट्रेनिंग लेने आती हैं जिन्‍होंने पहले ऐसा कभी नहीं किया। यहां पर बंदूक चलाना सीख रही श्वेत महिला बेथ अल्काजार कहती हैं यहां पर अश्‍वेत महिलाओं का दिखाई देना एक दुर्लभ घटना है।

डेट्रायट में शूटिंग इंस्ट्रक्टर लैवेट ऐडम्स मानती हैं कि अश्‍वेत महिलाओं द्वारा बंदूक चलाने की ट्रेनिंग लेना पूरी तरह से उनकी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। वो खुद भी एक अश्‍वेत महिला हैं। उनका मानना है कि अमेरिका में अश्‍वेतों के खिलाफ होने वाले अपराध कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन अब महिलाएं खुद को इनसे रक्षा के लिए तैयार कर रही हैं। ये एक बड़ी बात है। 


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