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इस आविष्कारक ने 10 साल की उम्र में बनाई थी लैब, जहर का लेबल लगाकर रखता था रसायन

3000 से ज्यादा आविष्कार करने वाले इस शख्स के नाम 1093 पेटेंट हैं। इनका एक रहस्य आज भी बरकरार है। डर की वजह से इन्होंने अपने एक प्रयोग पर काम करना बंद कर दिया था।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 06:04 PM (IST)
इस आविष्कारक ने 10 साल की उम्र में बनाई थी लैब, जहर का लेबल लगाकर रखता था रसायन
इस आविष्कारक ने 10 साल की उम्र में बनाई थी लैब, जहर का लेबल लगाकर रखता था रसायन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आज दुनिया के एक महान आविष्कारक और व्यवसायी का जन्मदिन है, जिन्होंने मात्र दस साल की आयु में अपनी लैब स्थापित कर ली थी। इनके नाम 1093 आविष्कार पेटेंट हैं, जबकि उन्होंने 3000 से ज्यादा आविष्कार किए थे। उनके सभी आविष्कार दुनिया के लिए एक बड़ा गिफ्ट हैं। बचपन बेहद गरीबी में गुजरने के बावजूद उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ।

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दुनिया को रोशन करने के लिए इन्होंने ही बिजली के बल्ब की खोज की थी, जो इनकी सबसे बड़ी खोज मानी जाती है। जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं अमेरिकी आविष्कारक और व्यवसायी थॉमस एल्वा एडिसन की। उनका जन्म आज ही के दिन, 11 फरवरी 1847 को अमेरिकी राज्य ओहियो के मिलान इलाके में हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय बाद उनका परिवार पोरट हुरोन मिशिगन में शिफ्ट हो गया था।

गरीब परिवार में जन्में थॉमस ने न केवल कई बड़े आविष्कार किए, बल्कि जनरल इलेक्ट्रिक के नाम से एक कंपनी भी बनाई, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है। थॉमस एल्वा का निधन 18 अक्टूबर 1931 को वेस्ट ऑरेंज, न्यू जर्सी में हुआ था। थॉमस वर्ष 1879 से 1900 के बीच ही अपनी लगभग सारी प्रमुख खोजें कर चुके थे। साथ ही जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी बनाकर अमीर व्यवसायियों में शुमार हो चुके थे।

तीन महीने में छूट गया था स्कूल
ये महान आविष्कारक जब स्कूल गया तो पढ़ाई में ठीक नहीं था। दरअसल एडिसन खोजी दिमाग के छात्र थे। हर चीज के बारे में जानने की उनके अंदर प्रबल इच्छा रहती थी। इसलिए उनका दिमाग भटकता रहता था और वह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते थे। उनके शिक्षक सोचते थे कि वह मंदबुद्धि हैं। एडिसन की मां को जब इसका पता चल गया तो उन्होंने थॉमस को तीन महीने बाद ही स्कूल से निकाल लिया। इसके बाद उन्हें घर पर ही पढ़ाने की व्यवस्था की गई।

10 साल की आयु में बनाई पहली लैब
थॉमस जब महज नौ साल के था, उनकी मां ने उन्हें विज्ञान की एक किताब दी थी। उसमें बताया गया था कि घर पर रसायनिक प्रयोग कैसे किए जा सकते हैं। थॉमस को वह किताब बहुत पसंद आयी। किताब में दिए गए प्रयोगों को करने के लिए थॉमस ने महज 10 साल की उम्र में अपने घर के बेसमेंट में अपनी पहली लैब स्थापित की थी। यहां उन्होंने किताब में दिए सभी प्रयोग किए। साथ ही उन प्रयोगों को अलग-अलग तरीकों से करने देखा।

एक हादसे ने बदल दी दुनिया
घर चलाने के लिए बहुत कम उम्र में ही थॉमस एल्वा को ट्रेनों में सब्जियां, कैंडी और न्यूज पेपर आदि बेचना पड़ा था। इसी दौरान उन्होंने एक हादसे में बच्चे को ट्रेन के नीचे आने से बचाया था। उस वक्त उनकी उम्र करीब 14 वर्ष थी। उस बच्चे के पिता ने खुश होकर थॉमस एल्वा को टेलिग्राफ ऑपरेटर का प्रशिक्षण दिया और नौकरी भी लगवा दी। यहीं से आधाकारिक तौर पर उनके आविष्कारों की दुनिया शुरू हुई। वह नाइट शिफ्ट में काम करते थे, ताकि दिन में अपने आविष्कारों पर काम कर सकें।

लैब से निकालने के लिए देना पड़ता था लालच
आविष्कारों के प्रति थॉमस की रुचि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपनी लैब में इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें बेसमेंट से बाहर निकालने के लिए उनके पिता पैसों का लालच देते थे। पैसों के लालच में थॉमस इसलिए पड़ जाते थे ताकि उससे वह अपनी खोजों के लिए और रसायन खरीद सकें। मां द्वारा दी गई किताब के सारे प्रयोग करने के लिए उन्होंने अपने पास जमा सारे पैसे खर्च कर डाले थे। लैब से कोई रसायन की बोतले न ले जाए, इसलिए थॉमस उन पर जहर का लेबल लगाकर रखते थे।

22 साल में कराया था पहला पेटेंट
थॉमस ने 22 साल की आयु में पहला पेटेंट वोट रेकॉर्डर मशीन का कराया था। उस वक्त तक अमेरिकी संसद में ध्वनिमत को गिनने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा थॉमस ने वोट रेकॉर्डर मशीन बनाने की सोची। इसके जरिए हर विधायक या सांसद को किसी विधेयक पर मतदान के लिए मशीन का स्विच ऑन करना होता था। इस तरह से उनका वोट रेकॉर्ड हो जाता था, बाद में मशीन ही वोटों की गिनती भी करती थी। ये तकनीक आज भी अमेरिका व भारत समेत दुनिया की कई संसदों में किसी विधेयक आदि पर मतदान के लिए इस्तेमाल की जाती है।

आज भी बरकरार है उनके टैटू का रहस्य
थॉमस की बायीं भुजा पर पांच डॉट वाला टैटू बना था, जिसकी जानकारी उन्होंने न्यूयॉर्क की एक बीमा कंपनी से 1911 में पॉलिसी लेते वक्त दी थी। थॉमस ने टैटू के लिए स्टेनसिल पेंस नाम की एक डिवाइस बनाई थी। माना जाता है कि थॉमस ने खुद पर उस डिवाइस का प्रयोग करने के लिए अपनी बांह पर टैटू बनाए थे। हांलाकि इसका कोई साक्ष्य नहीं है, इसलिए थॉमस की बांह पर टैटू कहां से आया, ये एक अनसुलझा रहस्य है। बाद में इस मशीन पर सैमुएल ओरेली ने काम किया और उसे दुनिया की पहली टैटू मशीन बनाया।

थॉमस की इस महत्वपूर्ण खोज ने उन्हें डरा दिया था
1895 में विल्हम कानरैट रोंटजेन ने एक्स-रे की खोज की थी। इसकी मदद से एक्स-रे की इमेज को डवलप किए बिना एक डिवाइस की मदद से देख सकते थे। उस डिवाइस का नाम था फ्लोरोस्कोप, जिसमें एक फ्लोरीसेंट स्क्रीन लगी होती थी। थॉमस ने अपने एक आविष्कारक कर्मचारी क्लैरेंस डैली को फ्लोरोस्कोप बनाने को कहा था। उनका ये आविष्कार इतना सफल रहा कि आज भी अस्पतालों में एक्स-रे की फिल्म देखने के लिए इस फ्लोरोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है।

उस वक्त तक एक्स-रे को खतरनाक नहीं माना जाता था। लिहाजा, क्लैरेंस एक्स-रे ट्यूब हाथ पर रखकर उसका परीक्षण करते थे। इस वजह से 1900 में उनकी कलाई पर खतरनाक जख्म हो गया, जिससे उनका हाथ काटना पड़ा। कुछ समय बाद उनकी दूसरी बांह भी काटनी पड़ गई थी। काफी इलाज के बाद भी उनकी हालत बिगड़ती रही और अंत में कैंसर से क्लैरेंस की मौत हो गई। इसके बाद थॉमस एस आविष्कार से इतने डर गए कि उन्होंने इस पर काम करना ही बंद कर दिया। 1903 में थॉमस ने एक इंटरव्यू में अपने इस डर का जिक्र करते हुए बताया था कि उस वक्त वह भी अपनी आंखों की रोशनी खोने के करीब थे।

बल्ब बनाने में 10 हजार बार फेल हुए थे
इस खोज के लिए थॉमस को काफी मेहनत करनी पड़ी और वह 10 हजार से ज्यादा बार असफल हुए थे। इस पर थॉमस ने कहा था कि मैं कभी असफल नहीं हुआ, बल्कि मैंने 10,000 ऐसे रास्ते निकाले, जो मेरे काम नहीं आए। पहली बार बल्ब बनाने में 40 हजार डॉलर का खर्च आया था। 40 इलेक्ट्रिक बल्ब को एक साथ जलता देखने के लिए न्यूयॉर्क में तीन हजार लोग जमा हुए थे। इसके बाद ही ग्राहकों को बिजली पहुंचाने के लिए न्यूयॉर्क में पर्ल स्ट्रीट पॉवर स्टेशन खोला गया। थॉमस ने ज्यादा रेसिस्टेंस वाली कार्बन थ्रेड फिलामेंट विकसित की थी, जो 40 घंटे तक चली थी।


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