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ड्रैगन की घेराबंदी, चीन से अमेरिकी कंपनियों को वापस लाने के लिए संसद में विधेयक पेश

अमेरिकी कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग ईकाइयों को चीन से अपने देश लाने में मदद के लिए एक प्रभावशाली सांसद ने संसद में एक विधेयक पेश किया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 04:24 PM (IST)
ड्रैगन की घेराबंदी, चीन से अमेरिकी कंपनियों को वापस लाने के लिए संसद में विधेयक पेश

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग ईकाइयों को चीन से अपने देश लाने में मदद के लिए एक प्रभावशाली सांसद ने संसद में एक विधेयक पेश किया है। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के चलते आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कामकाज समेट सकती हैं। इससे पहले जापान की कुछ ऐसे ही संकेत दे चुका है।

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चीन के वुहान से निकले से इस वायरस से अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित है। अब तक जहां 90 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। अमेरिकी सांसद मार्क ग्रीन द्वारा पेश किए गए विधेयक 'द ब्रिंग अमेरिकन कंपनी होम एक्ट' में इन कंपनियों को वापस लागने की पूरी लागत और चीन आने वाले सामान के आयात पर लगने वाले शुल्क का भार उठाने को कहा गया है।

ग्रीन ने कहा, 'अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अमेरिका में निवेश आकíषत करना जरूरी है। हालांकि, अमेरिकी कंपनियों के लिए अपने देश आने में एक सबसे बड़ी बाधा लागत है। कई कंपनियों के लिए ये बहुत खर्चीला और जोखिम भरा है, खासतौर से वैश्विक आर्थिक अनिश्चिता के दौर में।' उन्होंने कहा, 'चीन ने यह साबित कर दिया है कि वह भरोसेमंद साझीदार नहीं है। अमेरिका को फिर से विकसित करने और चीन पर निर्भरता कम करने के लिए, आइए हम अवसर के द्वार खोलें और हमारे देश में ही निवेश को प्रोत्साहित करें। मेरा विधेयक विकास के लिए है, और ऐसा करना ही उचित है।'

ग्रीन ने 'सिक्योर अवर सिस्टम अगेंस्ट चाइना टैक्टिक्स' विधेयक भी पेश किया। विधेयक में महामारी के दौरान अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कंपनियों में अमेरिकी निवेशकों के माध्यम से चीन के रणनीतिक अधिग्रहण पर रोक लगाने की बात कही गई है।

गौरतलब है कि अमेरिका कई बार चीन पर आरोप लगा चुका कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उसने पूरे विश्‍व को अंधेरे में रखा। इस वजह से संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया। हालांकि, चीन अपने ऊपर लगने वाले आरोपों से इंकार करता रहा है।


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