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कोविड-19 पर WTO में भारत-दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव को खारिज करें बाइडन, सांसदों का आग्रह

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) से चार शीर्ष रिपब्लिकन सांसदों ने शुक्रवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा कोविड-19 वैक्सीन को लेकर विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation WTO) में पेश किए गए प्रस्तावों को स्वीकार न करने का आग्रह किया।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 09:15 AM (IST)
कोविड-19 पर WTO में भारत-दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव को खारिज करें बाइडन, सांसदों का आग्रह
WTO में भारत-दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव को खारिज करें बाइडन

वाशिंगटन, प्रेट्र।  अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) से चार शीर्ष रिपब्लिकन सांसदों ने शुक्रवार को  भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा कोविड-19 वैक्सीन को लेकर विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation, WTO) में पेश किए गए प्रस्तावों को स्वीकार न करने का आग्रह किया। सांसदों ने पत्र लिख यह आग्रह किया है। सांसद  माइक ली (Mike Lee), टॉम कॉटन (Tom Cotton), जोनी अर्नस्ट (Joni Ernst) व टोड यंग (Todd Young) ने बाइडन से WTO में आए प्रस्ताव को खारिज करने को कहा है। दरअसल, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने एकजुट हो कोविड वैक्सीन को लेकर पेटेंट के अधिकारों को माफ करने को कहा है ताकि इसकी सप्लाई बेहतर हो सके। सांसदों ने बाइडन को लिए गए पत्र में कहा, 'भारत, दक्षिण अफ्रीका व अन्य देशों की ओर से WTO में एक प्रस्ताव दिया जा रहा है जिसमें कि कोविड-19 से संबंधित सभी तरह के बौद्धिक संपदा अधिकारों को माफ कर दिया जाए।'

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चारों सांसदो ने पत्र लिख कहा है कि अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है और अमेरिकी कंपनियों द्वारा विकसित की गई बौद्धिक संपदा को खत्म कर दिया जाता है तब वैक्सीन बनाने वाली अनेक कंपनियां हो जाएंगी। इनका यह भी कहना है कि प्रत्येक अमेरिकी कंपनी का पेटेंट खत्म करने से ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत शुरू किए गए कोरोना वैक्सीन और इलाज में होने वाली प्रगति खत्म हो सकती है। इस ऑपरेशन के तहत ऐतिहासिक तौर पर सबसे तेज गति से वैक्सीन का निर्माण हुआ है।

सांसदों के अनुसार, पेटेंट के अधिकार खत्म होने से नवाचार को बढ़ावा नहीं मिलेगा और इससे वायरस के नए वैरिएंट के लिए नई वैक्सीन का कार्यक्रम रुक सकता है। सांसदों ने आरोप लगाया कि कई कंपनियां यह सोच रही है कि पेटेंट पर रोक लगाने से वैक्सीन की सप्लाई बढ़ेगी, लेकिन ऐसा होना बहुत मुश्किल है। इसकी बड़ी वजह यह है कि नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने में समय बहुत लगेगा। इतना ही नहीं दवा बनाने की ना केवल प्रक्रिया समझनी होगी बल्कि सबसे सबसे बड़ी चिंता गुणवत्ता को लेकर होगी। उधर, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (जीआइपीसी) की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पैट्रिक किलब्राइड का कहना है कि पेटेंट को खत्म करने से भविष्य में अगर कोई महामारी कभी आती है तो वैक्सीन को जल्द से जल्द तैयार करने और वितरित करने में बड़ी कठिनाई होगी।

 इस क्रम में WHO प्रमुख टेड्रोस अधनम घेब्रेसेयस ने भी कहा कि वैक्सीन विकसित करने की क्षमता रखने वाले देशों को विश्व व्यापार संगठन से विशेष आपातकालीन प्रावधानों में प्रदान किए गए बौद्धिक संपदा अधिकारों को माफ करना शुरू करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि WHO जल्द ही उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगा, ताकि उत्पादन में आने वाली बाधाओं व रुकावटों को खत्म किया जा सके।


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